Maharashtra State Board Class 5th Hindi Medium Environmental Studies Part -1 (परिसर अध्ययन भाग -१)
प्रश्न १.अब क्या करना चाहिए ?
नदी-तालाब में जलकुंभी की चादर-सी फैली हुई है ।
उत्तर : यदि नदी-तालाब में जैविक पदार्थ मिश्रित होते रहें, तो उस पानी में जलकुंभी की तेज गति से वृद्धि होगी। फलतः उनमें रहने वाले अन्य जलीय जीवों का जीना कठिन हो जाएगा। पानी कम होने पर जलकुंभी के अवशेष वहीं पर सड़ते-गलते रहते हैं। कालांतर में नदी-तालाब की गहराई कम होने से वे छिछले हो जाते हैं। इसलिए वहाँ के निवासियों को सामूहिक परिश्रम दवारा पूरी की पूरी जलकुंभी को निकालकर सुखाना चाहिए और अंत में इसे जला देना चाहिए।
प्रश्न २. थोड़ा सोचो !
यदि किसी स्थान पर चील नहीं रही तो क्या होगा ? किन सजीवों की संख्या बढ़ेगी और किन सजीवों की संख्या कम होगी ?
उत्तर : चील एक शिकारी पक्षी है, जो प्राणियों को मारकर खाता है। यह मरे हुए प्राणियों का मांस भी खाता है। चीलों के न रहने पर चूहे, मूस, छोटे पक्षियों की संख्या बढ़ेगी। साँपों की संख्या भी बढ़ेगी। यदि चीलें न हों, तो संभव है कि मरे हुए प्राणियों के मांस के सड़ने-गलने से पर्यावरण कुछ प्रभावित अर्थात प्रदूषित हो।
प्रश्न ३. नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखोः
(अ) ‘प्रवास’ का क्या अर्थ है ?
उत्तर : ‘प्राणियों का एक स्थान से दूसरे स्थान पर अस्थाई अथवा स्थाई रूप में रहने के लिए जाना’ इसे प्रवासन (स्थलांतरण) कहते हैं।
(आ) पक्षियों का जीवनक्रम लिखो ।
उत्तर : प्राकृतिक वातावरण में पक्षी घनी झाड़ियों तथा वृक्षों पर रहते हैं। शहरों के पक्षी भी वृक्षों पर घोसले बनाकर उनमे रहते हैं। नर तथा मादा दोनों अथवा दोनों में से कोई एक घोंसला बनाता है। सभी पक्षी घोंसले नहीं बनाते। घोसले में मादा पक्षी अंडे देती है। कुछ समय तक मादा पक्षी अंडों को अपने शरीर की गरमी (उमस) देकर सेती है। अंडों में से चूजे बाहर आने के बाद कुछ दिनों तक उनका ध्यान रखती है। उन्हें चुग्गा देती है। बड़े होने पर जब चूजों के पंखों में शक्ति आ जाती है, तब वह घोंसले में से उड़ जाती है।
(इ) हवा प्रदूषित होने (वायु प्रदूषण) के दो कारण लिखो ।
उत्तर : (१) उद्योगधंधों तथा कारखानों से निकलने वाला ईंधनों का धुआँ।
(२) परिवहन द्वारा होने वाला प्रदूषण; क्योंकि इनमें भी ईंधनों का मंद गति से ज्वलन होता है I
(ई) जमीन पर उपलब्ध वनक्षेत्र का उपयोग हम किसलिए करते हैं ?
उत्तर : वनक्षेत्रों से हमें अनेक आवश्यक तथा उपयोगी वस्तुएँ मिलती हैं। लकड़ी, चारा, राल, गोंद तथा आयर्वेदिक औषधियाँ वनक्षेत्रों के वृक्षों तथा वनस्पतियों से मिलती हैं। वृक्षों की पत्तियों का भी हम उपयोग करते हैं। वनवासी लोग वनक्षेत्र के फलों को खाते हैं। जंगली पौधे खैर से कत्था मिलता है। पत्तियों से टोकिरियाँ, पत्तलें तथा दोनें बनाए जाते हैं।
प्रश्न ४. कारण लिखोः
(अ) जैविक घटकों का संवर्धन करना आवश्यक एवं महत्त्वपूर्ण है ।
उत्तर : जैविक घटकों के विनाश से बहुत-सी आहार श्रृंखला और आहार जाल खंडित हो जाएँगे। कुछ प्राणी तो विलुप्त भी हो जाते हैं। जो जैविक घटक करोड़ों वर्षों में प्राप्त हुए हैं, उनके विनाश के बाद वे पुनः तैयार नहीं किए जा सकते। प्राकृतिक संतुलन बिगड़ने पर मनुष्य पर भी उसका बुरा प्रभाव होगा। इसलिए जैविक घटकों का संवर्धन करना आवश्यक और महत्त्वपूर्ण है।
(आ) वन्यप्राणियों की संख्या में दिन-प्रतिदिन कमी हो रही है ।
उत्तर : मानवी अतिक्रमण के कारण अनेक आहार श्रृंखलाएँ नष्ट हो गई हैं। खुली जमीन प्राप्त करने के लिए जंगल काटे जा रहे हैं। फलतः जंगली प्राणियों के निवास कम होते जा रहे हैं। प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन के कारण भी प्राकृतिक चक्र असंतुलित हो रहे हैं। लोग वन्य प्राणियों का शिकार भी कर रहे हैं। इसलिए वन्यप्राणियों की संख्या में दिन-प्रतिदिन कमी हो रही है।
प्रश्न ५. नीचे दिए गए कथन सही हैं या गलत, लिखोः
(अ) मृत वनस्पतियों तथा प्राणियों का अजैविक घटकों में समावेश होता है ।
उत्तर : गलत I
(आ) जैवविविधता का संरक्षण करना आवश्यक है ।
उत्तर : सही I
प्रश्न ६. नीचे दी गई वस्तुओं, पदार्थों तथा घटकों का ‘मानवनिर्मित’ तथा ‘प्रकृतिनिर्मित’ समूहों में वर्गीकरण करोः
मिटटी, घोड़ा, पत्थर, जलकुंभी, पुस्तक, सूर्य का प्रकाश, डॉल्फिन (सूंस), कलम, कुर्सी , पानी, कपास, मेज, वृक्ष, ईंट ।
उत्तर :
मानवनिर्मित : पुस्तक, कलम, कुर्सी, मेज , ईंट I
प्रकृतिनिर्मित: मिटटी, घोड़ा, पत्थर, जलकुंभी ,सूर्य का प्रकाश ,डॉल्फिन (सूंस), पानी, कपास,वृक्ष I