Maharashtra State Board Class 6th Hindi Medium General Science (सामान्य विज्ञान )
प्रश्न १.रिक्त स्थानों में सही शब्द लिखो।
अ.सूर्य से पृथ्वी पर आनेवाली पराबैगनी किरणों को ओजोन गैस की परत अवशोषित कर लेती है।
आ. पृथ्वी पर मीठे पानी का कुल ०.३ प्रतिशत भंडार उपलब्ध है।
इ. मिट्टी में जैविक तथा अजैविक घटक पाए जाते हैं।
प्रश्न २. ऐसा क्यों कहते हैं ?
अ.ओजोन की परत पृथ्वी का संरक्षक कवच है ।
उत्तर : सूर्य के प्रकाश के साथ पृथ्वी तक आने वाली किरणों में पराबैगनी किरणें होती हैं। ये किरणें पृथ्वी के सजीवों के लिए घातक तथा रोगकारक होती हैं। ओजोन की परत इन पराबैगनी किरणों को अवशोषित कर (सोख) लेती है। इससे सजीवों को संरक्षण मिलता है। इसीलिए ओजोन की परत को ‘संरक्षक कवच’ कहते हैं।
आ. पानी जीवन है।
उत्तर : जीवित रहने के लिए सभी सजीवों को पानी की आवश्यकता होती है। वनस्पतियाँ पानी की उपस्थिति में अपने रसद्रव्य (पोषक पदार्थ) का अपने सभी भागों तक आरोहण करती हैं। मनुष्य तथा पशु-पक्षी भी पानी बिना जीवित नहीं रह सकते। इसीलिए पानी हमारे लिए जीवन है।
इ. समुद्र का पानी पीने योग्य न होने पर भी उपयोगी है।
उत्तर : (१) समुद्र तथा महासागर में बहुत से सजीव निवास करते हैं और जीवित रहते हैं।
(२) समुद्र के पानी में कई प्रकार की मछलियाँ, केकड़े तथा झींगे मिलते हैं, जो मांसाहारियों का भोजन है।
(३) मनुष्य मछलियाँ पकड़कर इनका व्यापार करता है और अपना जीवन निर्वाह करता है।
(४) समुद्र से हमें नमक, आयोडीन आदि खनिज मिलते हैं।
(५) सागर के जल में मूंगा तथा मोती नामक रत्न मिलते हैं।
(६) सागर के माध्यम से मालवाहक जहाजों द्वारा परिवहन होता है।
(७) समुद्र के जल का निरंतर वाष्पीकरण होने से जलवाष्प बनती है, जो बादलों में परिवर्तित होकर वर्षा के रूप में हमारी सहायता करती है।
(८) कुछ देश तो समुद्र के जल से पेयजल भी प्राप्त कर रहे हैं, जिससे जलसंकट समाप्त हो गया है। इसीलिए पीने के योग्य न होने पर भी समुद्र का पानी हमारे लिए उपयोगी है।
प्रश्न ३. क्या होगा बताओ।
अ. मिट्टी के सूक्ष्मजीव नष्ट हो जाएँ।
उत्तर : सूक्ष्मजीवों द्वारा वनस्पतियों तथा मृत प्राणियों के अवशेषों का अपघटन होता है। कुछ सूक्ष्मजीव चट्टानों का अपरदन भी करते हैं। सूक्ष्मजीवों के नष्ट होने पर ये दोनों क्रियाएँ नहीं होंगी। फलतः हयुमस मृदा और सामान्य मिट्टी का निर्माण नहीं होगा। सर्वत्र कचरे का ढेर लग जाएगा, वातावरण प्रदूषित होगा और नाना प्रकार के रोग होंगे।
आ. तुम्हारे परिसर में वाहनों तथा कारखानों की संख्या बढ़ जाए..
उत्तर : वाहनों में जीवाश्म ईंधनों के दहन से हवा में घातक घटक मुक्त किए जाते हैं। इनमें नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड आदि विषैली गैसों द्वारा पर्यावरण तथा मानवीय स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ेगा। इनमें से कालिख जैसे कणाकार प्रदूषक भी निकलते हैं, जो संपूर्ण सजीवसृष्टि के लिए घातक होते हैं। कारखानों से निकलने वाले संदूषित पानी और घातक गैसों का जलमंडल तथा वायुमंडल पर बुरा प्रभाव पड़ेगा। इनके कारण प्रदूषण और बढ़ेगा। अतः परिसर में वाहनों तथा कारखानों की संख्या में वृद्धि होने पर प्रदूषण बढ़ जाएगा और पर्यावरण पर बुरा प्रभाव पड़ेगा।
इ. पीने के पानी का संपूर्ण भंडार समाप्त हो जाए।
उत्तर : पानी को हम ‘जीवन’ कहते हैं। यदि पीने के पानी का पूरा भंडार समाप्त हो जाए, तो सृष्टि का कोई भी सजीव जीवित नहीं रह सकेगा। पानी के अभाव में सभी वनस्पतियाँ और प्राणी मृत्यु की गोद में चले जाएँगे।
प्रश्न ४. बताओ, मैं किसके साथ जोड़ी बनाऊँ?
समूह ‘अ’ |
समूह ‘ब’ |
१. कार्बन डाइऑक्साइड |
अ. मिट्टी का निर्माण |
२. ऑक्सीजन |
आ. वर्षा |
३. वाष्प |
इ. वनस्पति तथा भोजन का निर्माण |
४. सूक्ष्मजीव |
ई. ज्वलन |
उत्तर:
(१) कार्बन डाइऑक्साइड – वनस्पतियों तथा भोजन का निर्माण
(२) ऑक्सीजन- ज्वलन
(३) वाष्प – वर्षा
(४) सूक्ष्मजीव – मिट्टी का निर्माण
प्रश्न ५. नाम लिखो।
अ.जीवमंडल के भाग => वनस्पतियाँ तथा प्राणी।
आ. मिट्टी के जैविक घटक => सूक्ष्मजीव, कीटक, चूहे, घूस।
इ. जीवाश्म ईंधन => पेट्रोल, डीजल, मिट्टी का तेल (केरोसीन)।
ई. हवा की निष्क्रिय गैसें => आरगन, हीलियम, नियॉन, क्रिप्टॉन, जेनॉन तथा रेडॉन।
उ. ओजोन की परत के लिए घातक गैस => क्लोरोफ्लोरो कार्बन्स तथा कार्बन टेट्राक्लोराइड।
प्रश्न ६. बताओ, निम्नलिखित कथन सही हैं अथवा गलत।
अ.जमीन और मिट्टी एक ही हैं।
उत्तर : गलत
आ. जमीन के नीचे पाए जानेवाले पानी के भंडार को भूजल कहते हैं।
उत्तर : सही
इ. मिट्टी की २५ सेमी मोटी परत तैयार होने में लगभग १००० वर्ष का समय लगता है ।
उत्तर : गलत
ई. रेडॉन का उपयोग विज्ञापन के दीपों में करते हैं।
उत्तर : गलत
प्रश्न ७. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर अपने शब्दों में लिखो।
अ.मिट्टी कैसे बनती है इसे आकृति खींचकर स्पष्ट करो।
उत्तर : (१) वास्तव में सतत होने वाली कुछ प्राकृतिक प्रक्रियाओं द्वारा मिट्टी का निर्माण होता है।
(२) इस प्रक्रिया में गरमी, सर्दी (ठंड), आँधी, वर्षा इत्यादि द्वारा चट्टानों पर निरंतर आघात होता रहता है।
(३) इससे चट्टानों का अपरदन होता है और वे क्रमशः छीजती रहती हैं। ये बालू, छोटे-छोटे पथरीले टुकड़ों में बदल जाती हैं और मिट्टी निर्मित होती है।
(४) चट्टानों से कुछ अजैविक घटकों की आपूर्ति होती है।
(५) मिट्टी में ही पाए जाने वाले कुछ सूक्ष्मजीव, कृमि, कीटक और कर्तक प्राणी चट्टानों का अपरदन करते हैं।
(६) जमीन में पाई जाने वाली वृक्षों की जड़ें भी पर्याप्त अपरदन करती हैं। इन सभी परिघटनाओं के कारण अत्यंत मंद गति से मिट्टी का निर्माण होता रहता है।
आ. पृथ्वी के लगभग ७१% भाग पर पानी व्याप्त है, फिर भी पानी की कमी का आभास क्यों होता है ?
उत्तर : पृथ्वी के लगभग ७१% भाग पर जो पानी व्याप्त है, उस पानी का लगभग ९७% भाग खारा (नमकीन) समुद्री पानी है। पीने तथा खेती के कामों में इस पानी का उपयोग नहीं हो सकता। साथ-साथ पिछले कुछ वर्षों में जनसंख्या में हुई वृद्धि और वर्षा कम होने के कारण भी पानी का संकट उत्पन्न हो गया है। वैश्विक तापमान में हुई वृद्धि के कारण अकाल जैसी परिस्थिति निर्मित हो गई। यही कारण है कि पृथ्वी के लगभग ७१% भाग पानी होने पर भी पानी की कमी का आभास हो रहा है।
इ. हवा के विभिन्न घटक कौन-से हैं? उनके उपयोग लिखो।
उत्तर : (I) हवा के विभिन्न घटक :
(१) नाइट्रोजन, ऑक्सीजन, कार्बन डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड गैसें।
(२) आरगन, हीलियम, निऑन, क्रिप्टॉन, रेडॉन और जेनान नामक निष्क्रिय गैसें।
(३) जलवाष्प, धुआँ, कुहरा (कोहासा) तथा धूल के सूक्ष्म कण आदि घटक।
(II) हवा के घटकों के उपयोग :
(१) नाइट्रोजन : नाइट्रोजन द्वारा सजीवों के लिए आवश्यक प्रथिन निर्मित किए जाते हैं। अमोनिया गैस के व्यापारिक उत्पादन में नाइट्रोजन का उपयोग होता है। खाद्यपदार्थों के वायुरोधन के लिए भी इसका उपयोग करते है।
(२) ऑक्सीजन : सजीवों के श्वसन के लिए और ज्वलन के लिए ऑक्सीजन उपयोगी है।
(३) कार्बन डाइऑसाइड : प्रकाश-संश्लेषण की प्रक्रिया में वनस्पतियाँ इसका उपयोग करके प्रत्यक्ष रूप में अपने लिए और अप्रत्यक्ष रूप में अन्य शाकाहारियों के लिए खाद्य का निर्माण करती हैं।
(४) आरगन : बिजली के बल्बों में उपयोगी।
(५) हीलियम : पंखारहित इंजनों से चलने वाले विमानों में कम तापमान प्राप्त करने के लिए हीलियम का उपयोग करते हैं।
(६) निऑन : विज्ञापन करने तथा सड़कों के दीपों में उपयोगी।
(७) क्रिप्टॉन : प्रतिप्रदीप्तिशील पाइपों में उपयोगी।
(८) जेनॉन : फ्लैश छायाचित्र (फोटोग्राफी) के लिए उपयोगी।
ई. हवा, पानी और जमीन बहुमूल्य प्राकृतिक संसाधन क्यों हैं?
उत्तर : हवा, पानी और जमीन तीनों द्वारा पृथ्वी के सजीवों को ऐसे विभिन्न पदार्थ प्राप्त होते हैं, जिनके कारण वे जीवित रहते हैं। सजीव सृष्टि की लगभग सभी आवश्यकताओं की पूर्ति हवा, पानी तथा जमीन से होती है। इसलिए हवा, पानी और जमीन बहुमूल्य प्राकृतिक संसाधन हैं।