Maharashtra State Board Class 6th Hindi Medium General Science (सामान्य विज्ञान )

प्रश्न १.सही शब्दों का उपयोग करके रिक्त स्थानों की पूर्ति करो। 

अ.गंधकीकरण (वल्कनाइजेशन) द्वारा तैयार होनेवाला रबड़ मानवनिर्मित पदार्थ है ।

आ. प्राकृतिक पदार्थ पर प्रक्रियाएँ करके मानवनिर्मित पदार्थ तैयार किए जाते हैं।

इ. न्यूयॉर्क तथा लंदन में नाइलोन नामक कृत्रिम धागा तैयार हुआ।

ई. रेयॉन को कृत्रिम रेशम नाम से जाना जाता है।

प्रश्न २. उत्तर लिखो।

अ.मानवनिर्मित पदार्थों की आवश्यकता क्यों हुई ?
उत्तर : जनसंख्या में अनियंत्रित वृद्धि के कारण मनुष्य की आवश्यकताओं में अपार वृद्धि हो चुकी है। प्राकृतिक संसाधनों द्वारा इनकी पूर्ति हो पाना लगभग असंभव है। इसलिए मनुष्य अपने जीवन को अधिक से अधिक सुखकर बनाने के लिए नवीन पदार्थ बनाने लगा। इसीलिए मानवनिर्मित पदार्थों का आवश्यकता हुई।

आ. प्रकृति से कौन-कौन-से वनस्पतिजन्य एवं प्राणिजन्य पदार्थ मिलते हैं?
उत्तर : वनस्पतिजन्य पदार्थ : कपास (रूई), पटसन, सन, सागौन, लकड़ी, फल, फूल, अनाज, दालें।
प्राणिजन्य पदार्थ : चमड़ा, रेशम, ऊन, लाख, मोती, मांस, अंडा ।

इ. गंधकीकरण (वल्कनाइजेशन) किसे कहते हैं?
उत्तर : रबड़ तथा गंधक को उचित अनुपात में मिश्रित करने के बाद, इसे निश्चित समय (तीन या चार घंटे) तक तपाकर, इसे चीमड़ (Tough) बनाने की प्रक्रिया को ‘गंधकीकरण’ कहते हैं। यह एक रासायनिक प्रक्रिया है ।

ई. किन पदार्थों से प्राकृतिक रूप से धागे प्राप्त होते हैं।
उत्तर : कपास, ऊन, रेशम के कीडे, पटसन तथा सन जैसे पदार्थों (स्रोतों) से हमें प्राकृतिक रूप में धागे प्राप्त होते हैं।

प्रश्न ३. हमारे क्या उपयोग हैं?

अ.मिट्टी
उत्तर : मिट्टी से खेती होती है। पूर्व समय में मिट्टी से मकान तैयार किए जाते थे। मिट्टी से ईंटें, नरिया, थपुआ बनते हैं। इनसे मकान बनाए जाते हैं। मिट्टी से घड़े, गगरी, मटके (कछरा), दीपक आदि बनाए जाते हैं।

आ. लकड़ी
उत्तर : लकड़ी से मेज, कुर्सी, दरवाजों के पल्ले, खिड़कियाँ आदि बनाते हैं। उच्च गुणवत्ता वाली लकड़ी का उपयोग मकानों के निर्माण में किया जाता है। लकड़ी से मूतियाँ भी बनाई जाती हैं। सूखी लकड़ी का उपयोग ईंधन के रूप में किया जाता है। उत्तम प्रकार की लकड़ी से फर्निचर बनते हैं।

इ. नाइलोन
उत्तर : टिकाऊ वस्त्र तथा मछलियाँ पकड़ने के जाल के निर्माण में नाइलोन का उपयोग करते हैं। मोटी तथा मजबूत रस्सियाँ बनाने के लिए इसका उपयोग किया जाता है।

ई. कागज
उत्तर : कापियाँ, पुस्तकें तथा लेखन की अन्य वस्तुएँ बनाने के लिए कागज का उपयोग किया जाता है। बधाई पत्र तथा टिशू पेपर कागज द्वारा तैयार करते हैं। सामानों की पैंकिग के लिए भी विशेष प्रकार के मोटे कागज अर्थात, गत्ते का उपयोग किया जाता है।

उ. रबड़
उत्तर : विशिष्ट गुणवत्तावाले चीमड़ तथा लचीले रबड़ (वल्कनीकृत) का उपयोग वाहनों के टायरों के निर्माण में किया जाता है। रबड़ से गेंद, खिलौने, रबड़ बैंड, बनाते हैं। पेंसिल के निशान मिटाने के लिए भी रबड़ उपयोगी होता है।

प्रश्न ४. कागज का निर्माण कैसे किया जाता है ? अपने शब्दों में लिखो
उत्तर : कागज का निर्माण हरे वृक्षों की लकड़ी (काष्ठ) से किया जाता है। सर्वप्रथम वृक्ष की छाल को अलग 
करते है। प्राप्त लकड़ी से पतले-पतले टुकड़े बनाते हैं। इन टुकडों को एक विशिष्ट रसायन में पर्याप्त समय तक भिगोकर रखते हैं। इससे वे टुकड़े कागज की लुगदी में परिवर्तित हो जाते हैं। रसायनों की सहायता से इस लुगदी के तंतुमय पदार्थ अर्थात सेल्यूलोज के धागे अलग हो जाते हैं। इसमें अब कुछ रंजकद्रव्य मिश्रित करते हैं। रोलर की सहायता से इस लुगदी को बेलकर उपयुक्त मोटाई वाला कागज तैयार करते हैं। अंत में इसे सुखाकर किसी पतले रोलर पर लपेटते हैं। यही कागज का रोल है।

प्रश्न ५. कारण लिखो।

अ.ग्रीष्म ऋतु में सूती कपड़ों का उपयोग करना चाहिए।
उत्तर : सूती कपड़े प्रायः सफेद होते हैं, जो सूर्य से आने वाली किरणों की ऊष्मा का पर्याप्त भाग अवशोषित कर लेते हैं। इससे ग्रीष्म ऋतु में कम गरमी लगती है। ये प्राकृतिक धागों से बने होते हैं और शरीर से निकले हुए पसीने को सोख लेते हैं और हमें आराम मिलता है और चर्मरोगों की संभावना भी नहीं रहती। इसीलिए ग्रीष्म ऋतु में सूती (प्रायः सफेद) कपड़ों का उपयोग किया जाता है।

आ. पदार्थों का उपयोग कंजूसी से करना चाहिए।
उत्तर : पदार्थ दो प्रकार के होते हैं-प्राकृतिक तथा मानवनिर्मित। इनमें से प्राकृतिक पदार्थों की मात्रा सीमित है। मनुष्य इनमें से बहुत कम पदार्थों को कृत्रिम विधि से बना सका है। जनसंख्या में हुई अपार वृद्धि के कारण ये प्राकृतिक पदार्थ धीरे-धीरे कम होते जा रहे हैं।भविष्य में हमें इन पदार्थों के संकट (अभाव) का सामना करना पड़ सकता है। मानवनिर्मित पदार्थों में से केवल कुछ पदार्थ ही हमें पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं। परंतु इनके लिए हमें इनका मूल्य चुकाना पड़ता है। इसीलिए पदार्थों का उपयोग सोच समझकर, विवेकपूर्वक तथा कंजूसी से करना चाहिए।

इ. कागज बचाना समय की आवश्यकता है ।
उत्तर : कागज के व्यापारिक उत्पादन के लिए हरे-भरे तथा बड़े वृक्षों को काटा जाता है। इससे पर्यावरण पर बुरा प्रभाव पड़ता है। इससे जलवायु पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। अधिक मात्रा में कागज तैयार करने के लिए वृक्षों को अधिक संख्या में काटना पड़ता है। हमें फल, फूल, लकड़ी आदि नहीं मिल पाते। फलतः देश के विकास में अवरोध उत्पन्न होता है। इसीलिए कागज बचाना समय की एक आवश्यकता है।

ई. मानवनिर्मित पदार्थों की माँग अधिक है।
उत्तर : प्राकृतिक पदार्थ सीमित मात्रा में ही उपलब्ध हैं। ये प्रायः मूल्यवान होते हैं। इनके विकल्प के रूप में तैयार किए गए मानवानिर्मित पदार्थ सुलभ, सस्ते और पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं। मुनष्य इन्हें आसानी से उपयोग में ला सकता है। इसलिए मानवनिर्मित पदार्थों की माँग अधिक है।

उ. ह्यूमस मिट्टी प्राकृतिक पदार्थ है । 
उत्तर : मिट्टी में सूक्ष्मजीव, जीवाणु तथा कुछ अन्य सजीव होते हैं। ये अपघटक होते हैं। इनके द्वारा वनस्पतियों और मृत प्राणियों के अवशेषों का अपघटन किया जाता है। इस प्रक्रिया में उच्च गुणवत्तावाली एक प्राकृतिक खाद बनती है, जिसे हयुमस कहते हैं। अतः ह्युमस एक प्राकृतिक पदार्थ है I

प्रश्न ६. कैसे प्राप्त करते हैं ? इसकी जानकार प्राप्त करो ।

१.लाख नामक पदार्थ प्रकृति द्वारा कैसे प्राप्त करते हैं?
उत्तर : ‘लाख’ ऐसा प्राकृतिक पदार्थ है, जिसे लाख के कीड़ों से प्राप्त करते हैं। ये कीड़े पेडों पर निवास करते हैं। कीड़ों की मादा के शरीर की एक विशिष्ट ग्रंथि से रेजिन जैसा एक तरल पदार्थ स्रवित होता है। जब यह तरल हवा के संपर्क में आता है, तब उससे लाख मिलती है।

२. मोती नामक रत्न कैसे प्राप्त करते हैं? 
उत्तर : ‘मोती’ ऐसा रत्न है, जो सदैव प्राकृतिक होता है। इसका संवर्धन सीप नामक प्राणी के शरीर के कवच के अंदर होता है। जब बालू का कोई कण इस कवच के अंदर पहुँच जाता है, तब सीप उस बाहरी कण से अपनी सुरक्षा के लिए एक प्रकार के द्रव का स्राव करती है। यह द्रव समयांतर में कठोर हो जाता है, जिसे मोती कहते हैं। लोग ऐसी सीपों को एकत्र करके उनका मोती निकाल लेते हैं। इसे संवर्धित मोती कहते हैं।

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