उत्तर :
(१) तवारीख
(२) दंतकथा
(३) खरीता
(४) लोकगीत
(५) पोवाडा
(६) शिलालेख
(७) आदेशपत्र
(८) ताम्रपट
(९) श्लोक।
प्रश्न २. लेखन करोः
(१) स्मारकों में किन बातों का समावेश होता है?
उत्तर : स्मारकों में समाधि, मकबरा, उकेरे हुए मोटे शिलालेख (वीरगल), विजयस्तंभ आदि का समावेश होता है।
(२) तवारीख किसे कहते हैं ?
उत्तर : ‘तवारीख’ का अर्थ घटनाक्रम अथवा इतिहास होता है।
(३) इतिहास के लेखन कार्य में लेखक के कौन-से गुण महत्त्वपूर्ण माने जाते हैं ?
उत्तर : इतिहास के लेखन कार्य में लेखक की निष्पक्षता और तटस्थता जैसे गुण महत्त्वपूर्ण माने जाते हैं।
प्रश्न ३. समूह में से अलग शब्द ढूँढ़कर लिखोः
(१) भौतिक साधन, लिखित साधन, अलिखित साधन, मौखिक साधन
उत्तर : अलिखित साधन
(२) स्मारक, सिक्के, गुफाएँ, कहानियाँ
उत्तर : कहानियाँ
(३) भोजपत्र, मंदिर, ग्रंथ, चित्र
उत्तर : मंदिर
(४) ओवियाँ (सबद), तवारीखें, कहानियाँ, मिथकीय कहानियाँ
उत्तर : तवारीखें
प्रश्न ४. अवधारणाएँ स्पष्ट करोः
(१) भौतिक साधन
उत्तर : प्राचीन काल के लोगों द्वारा उपयोग में लाई गई वस्तुओं के आधार पर उस कालखंड के समाज के पारस्परिक संबंधों की जानकारी प्राप्त होती है। प्राचीन वास्तुओं अथवा उनके अवशेषों की सहायता से उस कालखंड के मानवीय व्यवहारों तथा उनकी आर्थिक परिस्थिति के विषय में जानकारी मिलती है। ऐसी सभी वस्तुओं तथा वस्तुओं अथवा इनके अवशेषों को ‘इतिहास के भौतिक साधन’ कहते हैं।
(२) लिखित साधन
उत्तर : मानव को लिखने की कला का ज्ञान हो जाने पर उसने अपने अनुभव, आसपास घटने वाली घटनाओं की जानकारी लिखकर रखना शुरू किया। इस लेखन द्वारा हमें तत्कालीन लोकजीवन, आचार-विचार, तीज-त्योहार तथा विभिन्न व्यंजनों आदि की जानकारी प्राप्त होती है। इन सभी सामग्रियों को ‘इतिहास के लिखित साधन’ कहते हैं।
(३) मौखिक साधन
उत्तर : लोकपरंपरा में ओवियाँ (चक्की के गीत), लोकगीत, कहानियाँ आदि सामग्रियाँ कंठस्थ होकर पीढ़ी-दर-पीढ़ी चली आ रही हैं। ऐसी सामग्रियाँ लिखकर नहीं रखी जातीं। इनसे संबंधित कालखंड की समझ, विचार, विश्वास आदि लोकजीवन के विभिन्न पहलुओं की जानकारी प्राप्त होती है। परंपरा द्वारा मौखिक रूप में संरक्षित की गई सामग्रियों को ‘इतिहास के मौखिक साधन’ कहते हैं।
प्रश्न ५. क्या ऐतिहासिक साधनों का मूल्यांकन करना आवश्यक होता है ? अपने विचार लिखो ।
उत्तर : ऐतिहासिक घटनाओं का अध्ययन करते समय तत्संबंधी अनेक बातों पर विचार करना पड़ता है। इस कार्य में ऐतिहासिक साधनों की आवश्यकता होती है। इन साधनों में मौलिकता होनी चाहिए, मौलिकता पर कोई संदेह नहीं होना चाहिए। इसलिए इन साधनों की विश्वसनीयता एवं प्रामाणिकता की पड़ताल करनी पड़ती है। केवल पुराना लिखित प्रमाण मानकर इन साधनों पर विश्वास नहीं किया जा सकता। प्राप्त सामग्री को किसने, कहाँ और क्यों लिखा; इस बात की जाँच करनी पड़ती है। प्राप्त वस्तुओं की भी चिकित्सकीय जाँच करनी चाहिए। प्रामाणिक साधनों की ही सहायता से ऐतिहासिक जानकारी की पड़ताल की जाती है। ऐसा न करने पर जानकारी दोषपूर्ण होती है। इसलिए ऐतिहासिक साधनों का मूल्यांकन करना आवश्यक होता है।
प्रश्न ६. तुम अपने विचार लिखोः
(१) शिलालेख को इतिहास लेखन का विश्वसनीय प्रमाण माना जाता है ।
उत्तर : पत्थरों अथवा दीवारों पर उकेरे गए लेखों को ‘ शिलालेख ‘ कहते हैं। राजा का आदेश, निर्णय, धर्मगुरुओं के उपदेश आदि बातें पत्थरों पर उकेरी होती हैं। इसके द्वारा उस काल की लिपि, भाषा, सामाजिक जीवन आदि समझने में सहायता मिलती है। उकेरे होने के कारण इन शिलालेखों की लेख सामग्री में किसी प्रकार का परिवर्तन नहीं किया जा सकता। शिलालेखों पर घटनाओं तथा दिनांकों का उल्लेख होता है; इसलिए शिलालेख को इतिहास लेखन का विश्वसनीय प्रमाण माना जाता है।
(२) मौखिक साधनों द्वारा लोकजीवन के विभिन्न पहलू ध्यान में आते हैं ।
उत्तर : ओवियाँ, मिथकीय गाथाएँ, लोककथाएँ आदि मौखिक सामग्रियों में संबंधित काल के लोगों की समझ, विचार, श्रद्धा, लोकजीवन आदि प्रतिबिंबित होते हैं। ये सामग्रियाँ कंठस्थ होकर एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक पहुंचती हैं। इन सामग्रियों के अध्ययन से पूर्वकाल के लोकजीवन के विभिन्न पहलू ध्यान में आते हैं।