Maharashtra State Board Class 7th Hindi Medium History (इतिहास)
प्रश्न १. निम्न तालिका पूर्ण करोः
गाँव/मौजा |
कस्बा |
परगना |
|
किसे कहते हैं? |
छोटी बस्ती को गाँव अथवा मौजा कहते हैं।
|
बड़े गाँव को, परगने के मुख्य स्थान को (आज की भाषा में तहसील का स्थान) |
अनेक गाँवों को मिलाकर परगना बनता था। (आज की भाषा में जिले का स्थान) |
अधिकारी |
पाटिल गाँव का प्रमुख होता था और कुलकर्णी जमा राजस्व का अभिलेख तैयार करता था। |
शेटे और महाजन जागीरदार प्रशासक थे.
|
देशमुख और देशपांडे वतनदार अधिकारी थे I |
उदाहरण |
वाई कसबे का छोटासा गाँव |
वाई कस्बा,इंदापुर कस्बा |
पुणे अथवा चाकण परगना |
प्रश्न २. किसे कहते हैं ?
(१) बुद्रुक –
उत्तर : मूल गाँव को ‘बुद्रुक’ कहते हैं।
(२) परजा-पवन ….
उत्तर : गाँव के श्रमिक किसान को कृषि कार्य में जो सेवाएँ देते हैं, उसके बदले किसान द्वारा उन्हें उपज (अनाज) का जो हिस्सा दिया जाता है, उसे ‘पौनी (पावना) कहते हैं।
(३) वतन – ….
उत्तर : वंश परंपरा से और स्थायी रूप में उपभोग के लिए दी गई लगानमुक्त जमीन को ‘वतन’ कहते हैं।
प्रश्न ३. ढूँढ़कर लिखो :
(१) कोकण के तटीय क्षेत्र में अफ्रीका से आए हुए लोग – सिद्दी
(२) अमृतानुभव ग्रंथ के रचनाकार – संत ज्ञानेश्वर
(३) संत तुकाराम का गाँव – देहू
(४) भारुड के रचनाकार – संत एकनाथ
(५) बल की उपासना का महत्त्व बतानेवाले – रामदास स्वामी
(६) नारी संतों के नाम – संत सोयराबाई, संत निर्मलाबाई, संत मुक्ताबाई, संत जनाबाई, संत कान्होपात्रा, संत बहिणाबाई सिऊरकर।
प्रश्न ४. अपने शब्दों में जानकारी और कार्य लिखोः
(१) संत नामदेव
उत्तर : संत नामदेव वारकरी संप्रदाय के सर्वश्रेष्ठ संत, कुशल संगठक और उत्तम कीर्तनकार थे। उन्होंने कीर्तन के माध्यम से सभी जातिवर्गों के स्त्री-पुरुषों को एकत्रित करके उनमें समता की भावना जागृत की; संसार में ज्ञान और भक्ति का दीप जलाने की प्रतिज्ञा की । उन्होंने भागवत धर्म का संदेश गाँव-गाँव तक पहुँचाने का कार्य किया और पंढरपुर श्री विठ्ठल के महाद्वार के सम्मुख संत चोखामेला की समाधि का निर्माण करवाया। उनकी अभंग रचनाएँ प्रसिद्ध हैं। उनके लिखे कुछ पद सिखों के पवित्र ग्रंथ ‘गुरु ग्रंथसाहिब’ में समाविष्ट हैं।
(२) संत ज्ञानेश्वर
उत्तर : संत ज्ञानेश्वर ने वारकरी संप्रदाय को धर्म की प्रतिष्ठा दिलाई। उन्होंने जन-सामान्य के आचरण करने योग्य आचरण धर्म बताया। उन्होंने ‘भगवद्गीता‘ संस्कृत ग्रंथ का मराठी में अर्थ स्पष्ट करने वाला ‘भावार्थदीपिका’ अर्थात ‘ज्ञानेश्वरी’ तथा ‘अमृतानुभव’, इन ग्रंथों की रचना की। कष्ट पहुँचाने वाले लोगों के प्रति भी कटुता की भावना न रखते हुए उन्होंने परमेश्वर से सबके लिए ‘पसायदान’ की माँग की।
(३) संत एकनाथ
उत्तर : संत एकनाथ महाराष्ट्र के भक्ति आंदोलन के महान संत थे। उन्होंने साहित्य के विभिन्न प्रकारों की रचना की, जिनमें अभंग, गौलणी, भारूड आदि का समावेश है। उन्होंने ‘भावार्थ रामायण’ में लोकजीवन का चित्रण किया; ‘भागवत’ नामक संस्कृत ग्रंथ के भक्तिविषयक भाग का मराठी में अनुवाद किया। वे कहते थे, मराठी भाषा किसी भी भाषा से कम नहीं है। उन्होंने अपने स्वयं के आचरण से यह सिद्ध करके दिखाया कि परमार्थ अथवा ईश्वर की प्राप्ति के लिए घर-गृहस्थी त्यागने की आवश्यकता नहीं है। दूसरे धर्मों का तिरस्कार करने वालों की उन्होंने कड़े शब्दों में आलोचना की। वे सही अर्थों में जनशिक्षक थे।
(४) संत तुकाराम
उत्तर : संत तुकाराम द्वारा रचित ‘गाथा’ नामक ग्रंथ मराठी भाषा की अमूल्य धाती है। उनकी अभंग रचनाएँ इसी ग्रंथ में संग्रहित हैं। उनके अभंग समझने में बहुत सरल हैं। उन्होंने समाज में व्याप्त आडंबर-पाखंड और अंधविश्वास की कड़े शब्दों में आलोचना की; भक्ति और नैतिकता को महत्त्व दिया, त्रस्त और दुखी लोगों में ईश्वर खोजने के लिए कहा और अपने अभंगों द्वारा जनजागृति लाई। संत तुकाराम ने कर्मकांडी और कट्टर लोगों के विरोध का बड़े धैर्य के साथ सामना किया। उनके शिष्यों और सहयोगियों में सभी जातियों और वर्गों के लोगों का समावेश था।
प्रश्न ५. जनता के लिए अकाल संकट क्यों अनुभव होता था ?
उत्तर : (१) अकाल में कृषि में फसलें नहीं आती थीं; इसलिए अनाज मिलना दूभर होता था।
(२) ऐसी स्थिति में अनाज का दाम बढ़ जाता था।
(३) पानी का अभाव होने के कारण पशुओं को चारा नहीं मिलता था।
(४) लोगों के लिए गाँव में रहना असह्य हो जाता था और वे गाँव छोड़कर चले जाते थे।
इन कारणों से अकाल जनता के लिए बहुत बड़ा संकट बन जाता।