Maharashtra State Board Class 7th Hindi Medium History (इतिहास)
प्रश्न १.उचित विकल्प चुनोः
(१) औरंगजेब इसके पराक्रम से त्रस्त हो गया था –
(अ) शाहजादा अकबर
(ब) छत्रपति संभाजी महाराज
(क) छत्रपति राजाराम महाराज
उत्तर : छत्रपति संभाजी महाराज
(२) औरंगजेब के खेमे के ऊपर लगा सोने का कलश काटकर ले जाने वाले –
(अ) संताजी और धनाजी
(ब) संताजी घोरपडे और विठोजी चव्हाण
(क) खंडो बल्लाल और रूपाजी भोसले
उत्तर : संताजी घोरपडे और विठोजी चव्हाण
(३) गोआ के युद्ध में पराक्रम की पराकाष्ठा करनेवाला –
(अ) येसाजी कंक
(ब) नेमाजी शिंदे
(क) प्रह्लाद निलाजी
उत्तर : येसाजी कंक
प्रश्न २. पाठ में ढूँढ़कर लिखोः
(१) संभाजी महाराज को जंजीरा का अभियान अधूरा छोड़कर क्यों लौट आना पड़ा ?
उत्तर : (१) मराठी प्रदेश में उत्पात मचाने वाले सिद्दी का रोकथाम करने के लिए संभाजी महाराज ने ई. स. 1682 में उसके विरुद्ध अभियान चलाया।
(२) उसके अधिकार वाले दंडाराजपुरी किले को घेर लिया और जंजीरा पर जबर्दस्त तोपें दागीं। (३) परन्तु. उसी समय मुगलों ने स्वराज्य पर आक्रमण कर दिया; इसलिए संभाजी महाराज को जंजीरा का अभियान अधूरा छोड़कर लौट आना पड़ा।
(२) संभाजी महाराज ने पुर्तगालियों को सबक सिखाने का निश्चय क्यों किया ?
उत्तर : (१) गोआ के पुर्तगाली शिवाजी महाराज के समय से ही स्वराज्य विस्तार के कार्य में बाधा डाल रहे थे I
(२) महाराज के निधन के बाद मुगलों ने स्वराज्य पर आक्रमण किया।
(३) पुर्तगाली संभाजी महाराज के विरुद्ध बादशाह औरंगजेब से मिल गए; इसलिए संभाजी महाराज ने पुर्तगालियों को सबक सिखाने का निश्चय किया।
(३) जिंजी जाते समय राजाराम महाराज ने स्वराज्य की रक्षा का दायित्व किस पर सौंपा ?
उत्तर : जिंजी जाते समय राजाराम महाराज ने स्वराज्य की रक्षा का दायित्व इन सरदारों को सौंपा :
(१) रामचंद्रपंत अमात्य
(२) शंकराजी नारायण सचिव
(३) संताजी घोरपड़े
(४) धनाजी जाधव।
(४) कवि देवदत्त ने महारानी ताराबाई के पराक्रम का वर्णन किन शब्दों में किया है ?
उत्तर : महारानी ताराबाई के पराक्रम का कवि देवदत्त ने जो काव्यात्मक वर्णन किया है, उसका अर्थ आगे दिए अनुसार है : ”राजाराम महाराज की पत्नी महारानी ताराबाई भद्रकाली की तरह कोपायमान हो गई हैं। इसके कारण दिल्ली के बादशाह – औरंगजेब की स्थिति दयनीय हो गई है, उनका तेज गायब हो गया है। भद्रकाली की तरह पराक्रमी राजाराम महाराज की पत्नी महारानी ताराबाई ने मुगलों के साथ युद्ध करने के लिए तैयार होकर रणरागिनी का रूप धारण कर लिया है। इसलिए हे मुगलों, अब स्वयं को सँभालो!”
प्रश्न ३. क्यों ? वह लिखोः
(१) औरंगजेब ने आदिलशाही और कुतुबशाही की ओर अपना मोर्चा खोला ।
उत्तर : (१) मराठों का राज्य जीतने के उद्देश्य से औरंगजेब दक्षिण में आया।
(२) परंतु संभाजी महाराज के पराक्रम और युद्ध कौशल के कारण लंबे समय तक प्रयास करने पर भी यह राज्य वह जीत न सका; इसलिए यह अभियान स्थगित करके औरंगजेब ने आदिलशाही और कुतुबशाही की ओर अपना मोर्चा खोला।
(२) संभाजी महाराज के पश्चात मराठे मुगलों के साथ आर-पार का युद्ध करने के लिए तैयार हो गए।
उत्तर : (१) औरंगजेब ने संभाजी महाराज की बड़ी क्रूरता से हत्या की।
(२) मराठों के इस छत्रपति ने अपना स्वाभिमान न छोड़ते हुए बड़े धैर्य से मृत्यु का सामना किया।
(३) उनके बलिदान से प्रेरणा लेकर मराठे मुगलों के साथ आर-पार का युद्ध करने के लिए तैयार हो गए।
(३) यह नीति तय की गई कि महारानी येसूबाई के नेतृत्व में रायगढ़ का युद्ध किया जाए ।
उत्तर : (१) संभाजी महाराज की मृत्यु के पश्चात मराठों का राज्य जीतने के लिए औरंगजेब ने जुल्फिकार खान को रायगढ़ भेजा।
(२) जुल्फिकार खान ने रायगढ़ पर घेरा डाल दिया। उस समय गढ़ पर राजाराम महाराज, उनकी पत्नी महारानी ताराबाई, संभाजी महाराज की पत्नी येसूबाई तथा पुत्र शाहू, ये सभी लोग थे।
(३) इन सबके एक साथ रहने में खतरा था।
(४) सब लोगों ने मिलकर यह नीति तय की, किसी भी परिस्थिति में मुगलों के शरण में नहीं जाना है, राजाराम महाराज घेरे से बाहर निकलें और महारानी येसूबाई के नेतृत्व में रायगढ़ का युद्ध किया जाए।