Maharashtra State Board Class 7th Hindi Medium Geography (भूगोल)
प्रश्न १. जोड़ियाँ मिलाकर श्रृंखला बनाओः
लहरें अपकेंद्री बल गुरुत्वीय बल बृहत ज्वार लघु ज्वार | अष्टमी अमावस्या पृथ्वी का परिभ्रमण चंद्रमा, सूर्य और पृथ्वी हवा | वस्तु बाहर की दिशा में फेंकी जाती है । उस दिन सबसे बड़ा ज्वार आता है । भूकंप और ज्वालामुखी के कारण भी निर्माण होते हैं। चंद्रमा और सू्र्य के बल अलग-अलग दिशा में कार्य करते हैं । पृथ्वी के मध्य दिशा में कार्य करता है । |
उत्तर :
(१) लहरें – हवा – भूकंप और ज्वालामुखी के कारण भी निर्माण होते हैं।
(२) अपकेंद्री बल – पृथ्वी का परिभ्रमण – वस्तु बाहर की दिशा में फेंकी जाती है ।
(३) गुरुत्वीय बल – चंद्रमा, सूर्य और पृथ्वी – पृथ्वी के मध्य दिशा में कार्य करता है ।
(४) बृहत ज्वार – अमावस्या – उस दिन सबसे बड़ा ज्वार आता है ।
(५) लघु ज्वार – अष्टमी– चंद्रमा और सू्र्य के बल अलग-अलग दिशा में कार्य करते हैं ।
प्रश्न २. भौगोलिक कारण बताओ :
(१) ज्वार-भाटा पर सूर्य की अपेक्षा चंद्रमा का अधिक प्रभाव पड़ता है।
उत्तर : (१) सूर्य की अपेक्षा चंद्रमा पृथ्वी के अधिक निकट है।
(२) इसके कारण ज्वार-भाटा के विषय में सूर्य के गुरुत्वाकर्षण बल की तुलना में चंद्रमा का गुरुत्वाकर्षण बल अधिक प्रभावकारी है। इसलिए ज्वार-भाटा पर सूर्य की अपेक्षा चंद्रमा का अधिक प्रभाव पड़ता है।
(२) कुछ स्थानों पर किनारे का निकटवर्ती निचला प्रदेश दलदल का बनता है।
उत्तर : (१) कुछ स्थानों पर किनारे के निकटवर्ती निचले प्रदेश में ज्वार के कारण पानी आ जाता है।
(२) इसके कारण निचले प्रदेश में कुछ मात्रा में समुद्र के पानी और बालू का संचयन होता जाता है।
(३) ऐसे प्रदेश में गरान के वन तीव्र गति से पनपते हैं।
(४) ऐसे भाग में तटीय भाग की जैवविविधता का विकास और संरक्षण होता है। इन कारणों से कुछ स्थानों पर किनारे का निकटवर्ती निचला प्रदेश दलदल बन जाता है।
(३) भाटा के स्थान के विरुद्ध देशांतर पर भी भाटा ही आता है।
उत्तर : (१) जब किसी देशांतर रेखा पर स्थित कोई विशिष्ट स्थान चंद्रमा के सामने आता है, तब उस स्थान पर चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण बल के प्रभाव के कारण वहाँ का जल चंद्रमा की दिशा में ऊपर की आर उठता है। और वहाँ ज्वार आता है। इसी समय इस देशांतर के विपरीत देशांतर पर भी ज्वार आता है।
(२) ज्वार वाले इस विशिष्ट स्थान के देशांतर के साथ समकोण बनाने वाले दो विपरीत देशांतरों के स्थानों का पानी खींचकर ज्वार वाले स्थानों पर आता है और वहाँ का जल स्तर नीचे आ जाता है। इसे भाटा कहते हैं। इन कारणों से स्पष्ट है कि भाटा के स्थान के विरुद्ध देशांतर पर भी भाटा ही आता है।
प्रश्न ३. संक्षेप में उत्तर लिखो:
(१) यदि सुबह ७.०० बजे ज्वार आया तो उस दिन में अगले ज्वार-भाटा के समय क्या-क्या होंगे; यह बताओ।
उत्तर : यदि सुबह ७.०० बजे ज्वार आए, तो उस दिन उससे अगले भाटे का समय सामान्यत: दोपहर १ बजकर १२ मिनट और अगले ज्वार का समय सायं ७ बजकर २५ मिनट होगा।
(२) जब मुंबई (७३° पूर्व देशांतर) में गुरुवार दोपहर १ बजे ज्वार आने वाला है; तो उस समय दूसरे किस देशांतर पर ज्वार आने वाला होगा; यह कारणसहित बताओ ।
उत्तर : यदि मुंबई (७३° पूर्व देशांतर) में गुरुवार दोपहर १ बजे ज्वार आने वाला हो, तो उस समय १०७° पश्चिम देशांतर पर ज्वार आएगा।
कारण : (१) पृथ्वी के जिस स्थान पर ज्वार और भाटा आता है, उसके विपरीत स्थान पर भी उसी समय क्रमश: ज्वार और भाटा आता है।
(२) ७३° पूर्व देशांतर का विपरीत देशांतर १०७° पश्चिम देशांतर है।
(३) लहरों के निर्माण होने के कारण बताओ।
उत्तर : (१) लहरों के निर्माण का प्रमुख कारण हवा है।
(२) कभी-कभी सागर तल में भूकंप आने अथवा ज्वालामुखी के उद्गगार के कारण भी लहरों का निर्माण होता है।
प्रश्न ४. निम्न कार्यों का ज्वार-भाटा से किस प्रकार का संबंध होगा; वह लिखो:
(१) तैरना
उत्तर : ज्वार-भाटा के समय की जानकारी प्राप्त करके तैरने के लिए जाना उचित होता है। ज्वार-भाटा के समय में समुद्र में बहुत अंदर तक जाकर तैरना खतरनाक होता है। सामान्य रूप से ज्वार के समय समुद्र तट के निकट के भाग में तैरना उचित होता है।
(२) जहाज चलाना
उत्तर : ज्वार के समय जहाज को समुद्र तट (बंदरगाह) से अंदर की ओर जल में ले जाना और जल में से समुद्र तट (बंदरगाह) पर ले आना अधिक आसान होता है। इसलिए ज्वार के समय का अध्ययन करके जहाज चलाया जाता है।
(३) मछली पकड़ना
उत्तर : ज्वार के पानी के साथ बड़ी मात्रा में मछलियाँ समुद्र के तटीय भाग तथा खाड़ी में आती हैं। यही कारण है कि ज्वार के समय में बड़े पैमाने पर मछलियाँ पकड़ी जाती हैं।
(४) नमक निर्माण
उत्तर : ज्वार के समय बड़ी मात्रा में समुद्र का पानी तटवर्ती भाग में आता है। इस पानी को नमकसार में संचित करके उससे नमक बनाया जाता है।
(५) सागर किनारे सैर करने जाना
उत्तर : ज्वार-भाटा के समय की जानकारी प्राप्त करके सागर के किनारे सैर करने जाना उचित होता है। ज्वार के समय सावधानीपूर्वक सागरीय क्रीडा का आनंद लिया जा सकता है।
प्रश्न ५. लघु ज्वार-भाटा की आकृति 3.8 का निरीक्षण करो और निम्न प्रश्नों के उत्तर लिखो:
(१) आकृति किस तिथि की है?
उत्तर : यह आकृति अष्टमी तिथि की है।
(२) चंद्रमा, सूर्य और पृथ्वी की सापेक्ष स्थिति कैसी है?
उत्तर : आकृति में सूर्य और पृथ्वी की स्थिति के सापेक्ष चंद्रमा समकोण पर है।
(३) इस स्थिति का ज्वार-भाटा पर क्या परिणाम होगा?
उत्तर : इस स्थिति के कारण औसत से छोटा ज्वार भाटा आएगा।
प्रश्न ६. अंतर स्पष्ट करो :
(१) ज्वार और भाटा
उत्तर:
(१) सागर जल के स्तर में होने वाली वृद्धि को ‘ज्वार’ कहते हैं। | (१) समुद्र जल के स्तर में होने वाली कमी का ‘भाटा’ कहते हैं। |
(२) ज्वार के समुद्र का पानी किनारे के बहुत निकट आता है। | (२) भाटा के समय समुद्र का पानी किनारे से दूर अंदर की ओर जाता है। |
(२) लहर और सुनामी लहर
उत्तर:
(१) हवा द्वारा मिलने वाली शक्ति से समुद्र का पानी गतिमान होता है, जिसके परिणामस्वरूप लहरों का निर्माण होता है। | (१) सागर के तल में आने वाले भूकंप और ज्वालामुखी के उद्गगार के कारण सुनामी लहरों का निर्माण होता है। |
(२) लहरें विनाशकारी नहीं होती। | (२) सुनामी लहरें विनाशकारी होती हैं। |
प्रश्न ७. ज्वार-भाटा के अच्छे और बुरे परिणाम कौन- से हैं, यह लिखो ।
उत्तर : ज्वार-भाटा के अच्छे और बुरे परिणाम नीचे दिए अनुसार हैं :
(अ) अच्छे परिणाम : (१) ज्वार के पानी के साथ मछलियाँ खाड़ी में आती हैं। इसका लाभ मछली पकड़ने में होता है।
(२) ज्वार-भाटा के कारण जल में मिश्रित कूड़े-कचरा का निपटारा होता है और समुद्री तट स्वच्छ रहता है।
(३) ज्वार-भाटा के कारण बंदरगाह मिट्टी से नहीं पटता।
(४) ज्वार के समय जहाजों को बंदरगाह में लाया जा सकता है।
(५) ज्वार का पानी नमकसार में इकट्ठा करके उससे नमक बनाया जाता है।
(६) ज्वार-भाटा की प्रक्रिया से बिजली का उत्पादन किया जा सकता है।
(७) ज्वार-भाटा के कारण गरान के वनों, तटीय क्षेत्र में पनपने वाली जैवविविधता आदि का विकास और संरक्षण होता है।
(ब) बुरे परिणाम : यदि ज्वार-भाटा के आने के समय का अनुमान न हो, तो समुद्र में तैरने गए व्यक्तियों के साथ दुर्घटना हो सकती है।