Maharashtra State Board Class 5th Hindi Medium Environmental Studies Part -1 (परिसर अध्ययन भाग -१)​​​​​​​

प्रश्न १.रिक्त स्थानों की पूर्ति करोः 

(अ) मनुष्य विचारशील होता है, साथ-साथ वह भावनाशील भी होता है ।

(आ) अपने सहपाठियों-सहेलियों में जो अच्छे गुण होते हैं; उनपर सबसे पहले विचार करना चाहिए ।

प्रश्न २. नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर एक-एक वाक्य में लिखोः

(अ) व्यक्तित्व संतुलित कैसे बनता है ?
उत्तर : भावनाओं का उचित पद्धति से समन्वय करने से व्यक्तित्व संतुलित बनता है।

(आ) सामंजस्य तथा सहयोग की प्रवृत्ति किस कारण कम हो जाती है ?
उत्तर : क्रोध पर नियंत्रण न रखने से सामंजस्य तथा सहयोग की प्रवृत्ति कम हो जाती है।

(इ) अपने स्वभाव के दोषों की जानकारी हो जाने के बाद हमें क्या करना चाहिए?
उत्तर : अपने स्वभाव के दोषों की जानकारी हो जाने के बाद हमें, उन दोषों को दूर करने का प्रयत्न करना चाहिए।

प्रश्न . नीचे दिए गए प्रत्येक प्रश्न का उत्तर तीन-चार वाक्यों में लिखोः

(अ) भावनात्मक समन्वय किसे कहते हैं?
उत्तर : (१) मनुष्य विचारशील होता है, वह भावनाशील भी होता है।
(२) विचार और भावनाओं का उचित समन्वय करना हमें आना चाहिए।
(३) विचारों से भावनाओं पर नियंत्रण रखा जा सकता है, उन पर संयम रखा जा सकता है।
(४) इस तरह भावनाओं पर नियंत्रण रखना, भावनाओं का समन्वय करने आना, उन्हें उचित ढंग से तथा उचित मात्रा में व्यक्त करना, इसे ही ‘भावनात्मक समन्वय’ कहते हैं।

(आ) क्रोध के कौन-से दुष्परिणाम होते हैं ?
उत्तर : क्रोध बार-बार आता है अथवा अनियंत्रित रहता है, तो उसके ये दुष्परिणाम होते हैं-
(१) हम क्रोधी और हठी बन जाते हैं।
(२) सामंजस्य तथा सहयोग की प्रवृत्ति कम हो जाती है।
(३) क्रोध के आवेश में हम दूसरों के मन को दुखित करते हैं।
(४) हमारे शरीर पर दुष्प्रभाव पड़ता है।
(५) हमारा स्वास्थ्य बिगड़ता है। हमें सिरदर्द, अनिद्रा तथा उदासीनता जैसे दुष्परिणामों का सामना करना पड़ता है।
(६) हमारे मन पर भी दुष्प्रभाव पड़ता है। इससे हमारा उत्साह कम हो जाता है।

(इ) अपनी कमियों की जानकारी हमें क्यों होनी चाहिए ?
उत्तर : (१) हमारी क्षमता और रुचि-अरुचि भिन्न-भिन्न होती है।
(२) हमें अपनी क्षमताएँ और कमियाँ धीरे धीरे समझ में आने लगती हैं।
(३) हमें यह भी जानना होता है कि किस चीज में हमारी रुचि नहीं है और किस विषय के अध्ययन में गति तेज नहीं है।
(४) हमें अपनी जो कमियाँ मालूम हैं, उन्हें प्रयत्नपूर्वक दूर किया जा सकता है I
(५) यदि अपनी कमियों की जानकारी नहीं है, तो इसका हमारे व्यक्तित्व पर दुष्परिणाम होता है; इसलिए हमें अपनी कमियों की जानकारी होनी चाहिएI

प्रश्न . तुम्हें क्या लगता है, लिखोः

(अ) तुम्हारा कहना शिक्षक नहीं सुनते ।
उत्तर : मैं निराश हो जाता हूँ, मुझे शिक्षक पर थोड़ा क्रोध भी आता है।

(आ) घर का कोई निर्णय लेते समय माता-पिता तुमसे भी उसके बारे में चर्चा करते हैं ।
उत्तर : मुझे बहुत अच्छा लगता है। घर की महत्त्वपूर्ण बातों में मेरा भी सहभाग होना चाहिए। मेरे माता-पिता ऐसा अवसर देते हैं, यह अच्छी बात है।

(इ) मित्र को कोई बड़ा पुरस्कार मिला ।
उत्तर : मुझे अपने मित्र की सफलता पर बड़ा गर्व हुआ। ऐसा मित्र मिलने से मुझे बहुत खुशी हुई।

(ई) कक्षा के बच्चे तुम्हारी सराहना करते हैं ।
उत्तर : मुझे बहुत आनंद आता है। सराहना करने वाले मित्र मुझे मिले हैं, इस बात पर मैं गर्व अनुभव करता हूँ।

(उ) रोहन ने कक्षा में तुम्हारा अपमान किया ।
उत्तर : मुझे रोहन पर क्रोध आया और मैंने उससे बोलना बंद कर दिया। रोहन जैसा अच्छा लड़का ऐसा व्यवहार करे, इस बात पर मुझे बहुत आश्चर्य हुआ।

प्रश्न . नीचे दी गई परिस्थितियों में तुम क्या करोगे ?

(अ) रोहिणी को निबंध प्रतियोगिता में पुरस्कार मिला ।
उत्तर : मैं उसका अभिनंदन करके उसका निबंध पढ़ने के लिए माँगूंगा। प्रतियोगिता के लिए उसने कौन-से प्रयत्न किए, इसकी जानकारी मैं उससे प्राप्त करूँगा।

(आ) क्रोध आने के कारण कविता ने डिब्बे का खाना नहीं खाया ।
उत्तर : उसके क्रोध का कारण जानकर उसे समझाऊँगा और डिब्बे का खाना खाने के लिए आग्रह करूँगा।

(इ) वीणा विद्यालय में अकेली रहती है ।
उत्तर : मैं उसके साथ मित्रता करने का प्रयत्न करूँगी और उसे अपने समूह में लाऊँगी।

(ई) मकरंद कहता है, ‘मेरा स्वभाव ही हठी है’ ।
उत्तर : मैं उसे समझाऊँगा कि हठी स्वभाव का क्या दुष्परिणाम होता है और उसे यह हठी स्वभाव बदलने की सलाह दूंगा।

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