Maharashtra State Board Class 5th Hindi Medium Environmental Studies Part -2 (परिसर अध्ययन भाग -२)​​​​
प्रश्न १. निम्न गोल में वस्तुओं के कालखंड के तीन समूह ढूँढ़ो और वे संबंधित वाक्यों के आगे लिखो।

(अ) पत्थर के हथियार : ----- युग ।

(आ) तांबे के हथियार एवं अन्य वस्तुएँ : ------ युग ।

(इ) लोहे के हथियार एवं अन्य वस्तुएँ : ------युग ।
उत्तर:

(अ) पत्थर के हथियार : अश्म युग ।

(आ) तांबे के हथियार एवं अन्य वस्तुएँ : ताम्र युग ।

(इ) लोहे के हथियार एवं अन्य वस्तुएँ : लौह युग ।

प्रश्न २. निम्न घटक कालखंड के अनुसार उचित क्रम से लिखो :

(अ) (१) तांबा (२) स्वर्ण (३) लौह
उत्तर :१) स्वर्ण २) तांबा ३) लौह

(आ) (१) ताम्र युग (२) लौह युग (३) अश्म युग
 उत्तर : १) अश्म युग २) ताम्र युग ३) लौह युग

प्रश्न ३. निम्न घटनाओं के परिणाम लिखो :

(अ) तांबा धातु का आविष्कार : ——-
उत्तर : मानव के लिए हथियार और औजार बनाना संभव हुआ।

(आ) पहिये (चाक) का आविष्कार : —-
उत्तर : मिट्टी के सुडौल और सुंदर नक्काशीवाले रंगीन बरतन बनाए जाने लगे और व्यापार में वृद्धि हुई।

(इ) लिपि का ज्ञान : ——–
उत्तर : व्यापार और उत्पादन का स्थायी रूप से हिसाब-किताब रखना संभव हुआ और प्रत्येक संस्कृति की अपनी-अपनी लिपि तैयार हुई

प्रश्न ४. टिप्पणियाँ लिखो :

(अ) धातु का उपयोग
उत्तर : (१) मानव द्वारा हथियारों और औजारों के लिए किए गए धातुओं के उपयोग के आधार पर क्रिश्चन थॉमसन ने इस कालखंड का अश्मयुग, ताम्रयुग और लौहयुग में विभाजन किया।
(२) मानव ने सबसे पहले सोने का उपयोग आभूषण बनाने में किया। स्वर्ण धातु प्राकृतिक रूप से बहुत नरम और लचीली होने के कारण हथियार और औजार बनाने में उसका उपयोग नहीं हो सकता था।
(३) इसके बाद मानव ने ताँबे की खोज की। इस कालखंड में मानव ने औजार बनाने के लिए ताँबे का उपयोग बड़ी मात्रा में किया, इसलिए इस कालखंड को ‘ताम्रयुग’ कहते हैं।
(४) बाद के कालखंड में मानव द्वारा हथियार बनाने के लिए लोहे का उपयोग किए जाने के कारण उसे ‘लौहयुग‘ कहते हैं।

(आ) नगरीय समाज व्यवस्था।
उत्तर : (१) नगरीय संस्कृति की नींव नवाश्मयुग की कृषि-संस्कृति पर आधारित थी।
(२) कृषिसंस्कृति में रूढ़ हुई श्रद्धाओं पर आधारित सामूहिक आचरण एवं पर्वो को नगरीय संस्कृति में अधिक महत्त्व प्राप्त हुआ।
(३) इस समाज-व्यवस्था में नगरों में भव्य मंदिर स्थापित किए गए।
(४) नगर की शासन-व्यवस्था का अधिकार भी मंदिर प्रमुखों को मिल जाने के कारण मंदिर का प्रमुखपद और राज्यपद, दोनों एक ही व्यक्ति के पास आ गए। यह विश्व की प्राचीन नगरीय संस्कृतियों का आरंभ था।

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