Maharashtra State Board Class 6th Hindi Medium General Science (सामान्य विज्ञान )
प्रश्न १.नीचे दिया गया परिच्छेद ध्यान से पढ़ो और इसमें जिन पदार्थों का उल्लेख किया गया है, उनके आगे कोष्ठक में ठोस, द्रव, गैस में से उचित विकल्प लिखो।
सूर्य के प्रकाशवाले दिन पार्क में रिया और गार्गी गेंद (ठोस) के साथ खेल रही हैं । गार्गी को प्यास लगती है, इसलिए रिया ने उसके लिए नारियल पानी (द्रव) लाया । इतने में हवा(गैस) बहने लगी और वर्षा (द्रव) भी होने लगी । वे दोनों शीघ्रता से घर आईं। अपने कपड़े (ठोस) बदले और उनकी माँ ने उन्हें एक-एक प्याली (ठोस ) गरमगरम दूध (द्रव) पीने के लिए दिया।
प्रश्न २. चर्चा करो।
अ. रिया अपने पास की एक बोतल से थोड़ा पानी एक दूसरी बोतल में उड़ेलती है । क्या इससे पानी के आकार में कोई परिवर्तन होगा?
उत्तर: हाँ, पानी के आकार में परिवर्तन होगा I वह दूसरी बोतल के आकार का हो जाएगा I
आ. हलीमा जमीन से एक कंकड़ उठाकर पानी से भरी एक तश्तरी में डाल देती है, तो क्या उस कंकड़ का आकार परिवर्तित होगा ?
उत्तर: नहीं, उस कंकड़ का आकार परिवर्तित नहीं होगा I
प्रश्न ३. नीचे दिए पदार्थों के गुणधर्म और विशेषताएँ लिखो।
(पानी, काँच, खड़िया, लोहे का गोला, शक्कर, नमक, आटा, कोयला, मिट्टी, कलम, स्याही, साबुन)
उत्तर: पानी : सामान्य तापमान पर यह द्रव अवस्था में होता है। ठंडा करने पर 0°C पर बरफ तथा गरम करने पर १००°C पर भाप में परिवर्तित हो जाता है। बहुत-से पदार्थ इसमें घुल जाते हैं। इसलिए पानी को ‘वैश्विक विलायक’ कहते हैं।
काँच : काँच प्रत्यक्ष रूप में ठोस पदार्थ लगता है। परंतु यह असीमित श्यानता (Viscosity) वाला अतिशीतल (Supercooled) द्रव है। इसका कोई निश्चित गलनांक नहीं होता। इसका मुख्य घटक बालू है। यह भंगुर, चमकीला तथा पारदर्शी पदार्थ है।
खड़िया (चॉक) : यह ठोस अवस्थावाला अपारदर्शी तथा भंगुर पदार्थ है। पानी में अविलेय है।
लोहे का गोला : यह ठोस आवस्थावाला पदार्थ है। इसे पिघलाया जा सकता है। इससे पतले तार बनाए जा सकते हैं। लोहे में आघातवर्ध्यता, तन्यता, विद्युतचालकता, ऊष्माचालकता तथा ध्वानिकता आदि गुणधर्म पाए जाते हैं।
शक्कर : यह ठोस अवस्थावाला केलासीय (क्रिस्टलीय) श्वेत पदार्थ है। यह जल में विलेय परंतु मिट्टी के तेल में अविलेय होती है। इसका स्वाद मीठा होता है।
नमक : यह श्वेत, केलासीय तथा भंगुर पदार्थ है। पानी में विलेय परंतु मिट्टी के तेल में अविलेय होता है। इसका स्वाद खारा (नमकीन) होता है।
आटा : यह गेहूँ, जौ जैसे अनाजों को चक्की में पीसकर तैयार किया गया कणों के रूपवाला ठोस पदार्थ है। यह पानी में अविलेय होता है। इसे पानी के साथ गूंधकर ठोस खाद्यपदार्थ तैयार किए जाते हैं।
कोयला : यह ठोस अवस्थावाला ज्वलनशील तथा काला पदार्थ है। पीटने या दाब डालने पर यह कणों में बदल जाता है अर्थात, इसमें भंगुरता होती है। इसका ईंधन के रूप में उपयोग किया जाता है।
मिट्टी : यह ठोस अवस्थावाला चूर्ण है, जिसके कई प्रकार होते हैं। इसमें कई प्रकार के विलेय तथा अविलेय पदार्थ पाए जाते हैं। मिट्टी से बरतन, टाइलें, नरिया तथा थपुआ बनाते हैं।
कलम : कलम किसी धातु, मिश्रधातु या प्लास्टिक से बनाई गई ठोस वस्तु है। इसमें तरल रूप में स्याही भरकर लेखनकार्य किया जाता है।
स्याही : स्याही एक द्रव अवस्थावाला पदार्थ है। इसमें अलग-अलग प्रकार के रंजक होते हैं। इसलिए स्याही का रंग भी अलग-अलग होता है।
साबुन : साबुन अलग-अलग रासायनिक पदार्थों से निर्मित मैल को दूर करने वाला ठोस पदार्थ है। यह जल में घुलकर साबुनी पदार्थ बनाता है, जिससे कपड़े स्वच्छ किए जाते हैं स्नान के साबुन का उपयोग करके लोग नहाते समय त्वचा स्वच्छ करते हैं। साबुन ठोस तथा द्रव दोनों रूपों मे पाया जाता है।
प्रश्न ४. ऊर्ध्वपातन किसे कहते हैं ? दैनिक जीवन में उपयोगी ऊर्ध्वपातज पदार्थों के नाम लिखो।
उत्तर : ऊष्मा ग्रहण करके ठोस पदार्थ के सीधे गैसीय अवस्था में रूपांतरित होने और ऊष्मा त्यागकर गैसीय अवस्था वाले पदार्थ के सीधे ठोस में रूपांतरित होने के गणधर्म को ‘ऊर्ध्वपातन’ कहते हैं। इन पदार्थों में द्रव अवस्था नहीं होती। उदा. आयोडीन, कपूर, नौसादर तथा नैफ्थलीन, दैनिक जीवन में उपयोगी ऊर्ध्वपातज पदार्थ है।
प्रश्न ५. किससे बनाए जाते हैं, कारणसहित लिखो।
अ.गन्ना काटनेवाला बाँका
उत्तर : यह लोहे से बनाया जाता है, क्योंकि लोहे में कठोरता तथा आघातवर्ध्यता दो ऐसे गुणधर्म होते हैं। बाँका बनाने के लिए उसके पदार्थ में ये दोनों गुणधर्म होने चाहिए।
आ. घर पर लगने वाली चद्दर (पतरा)
उत्तर : घरों पर मुख्यतः छत पर लगे पतरे लोहे से बनाए जाते हैं, क्योंकि लोहे में तन्यता, कठोरता तथा आघातवर्ध्यता जैसे गुणधर्म पाए जाते हैं।
इ. स्क्रू ड्रायवर (पेचकश)
उत्तर : चूँकि स्क्रू ड्रायवर द्वारा खाँचदार नुकीली वस्तुओं को किसी अन्य सतह में घुसाया जाता है, इसलिए इसे अत्यधिक कठोरता वाली मिश्रधातु इस्पात (स्टील) से ढालकर तैयार किया जाता है।
ई. सँड़सी
उत्तर : सँड़सी स्टेनलेस इस्पात जैसी कठोर मिश्रधातु से बनाया गया रसोईघर का साधन है। पहले इसे सामान्य लोहे से तैयार करते थे, जिस पर जंग (Rust) लग जाता था। आँच पर रखे गए गरम बरतन उतारने के लिए इसका उपयोग करते हैं। आजकल सँड़सी पर भी प्लास्टिक का आवरण लगा होता है।
उ. विद्युत तार
उत्तर : यह ऐसी धातु से तैयार किया जाता है, जिसमें तन्यता, कठोरता तथा विद्युतवाहकता जैसे गुणधर्म हो। एल्युमीनियम तथा ताँबे में ये सभी गुणधर्म होते हैं। इसलिए इसे ताँबे तथा एल्युमीनियम से बनाते हैं।
ऊ. आभूषण
उत्तर : असली आभूषण प्राय: चाँदी तथा सोने से तैयार किए जाते हैं। इसका कारण यह है कि इन धातुओं में तन्यता, आघातवर्ध्यता तथा कठोरता (अपेक्षित) जैसे गुणधर्म पाए जाते हैं। कुछ लोग प्लेटिनम धातु से भी आभूषण बनवाते हैं।
ए. पतीला
उत्तर : यह भोजन तैयार करने, पानी गरम करने आदि में उपयोगी बरतन है। इसे कई प्रकार के पदार्थों से बनाया जाता है। मुख्य पदार्थ एल्युमीनियम, स्टेनलेस स्टील (इस्पात) तथा तल से बनाए जाते हैं। इन पदार्थों में कठोरता, आघातवर्ध्यता तथा ऊष्माचालकता जैसे गुणधर्म पाए जाते हैं।
प्रश्न ६. ऐसा करें तो क्या होगा और क्यों?
अ. कील प्लास्टिक की बनाएँ
उत्तर : कठोरता के गुणधर्म के कारण ही कीलें धातुओं से तैयार की जाती है। प्लास्टिक से कील बनाने पर उनमें कठोरता नहीं होगी। थोड़े-से आघात से ये कीलें टूट या मुड़ जाएंगी। अतः प्लास्टिक से बने कीलों का कोई उपयोग नहीं होगा।
आ. घंटा लकड़ी का बनाएँ
उत्तर : लकड़ी में ध्वानिकता नहीं होती। आघात से उत्पन्न आवाज दूर तक नहीं पहुंचेगी। अत: लकड़ी का घंटा बेकार सिद्ध होगा।
इ. सँड़सी पर रबड़ न लगाएँ
उत्तर : सँड़सी रसोईघर का साधन है। रबड़ न लगाने पर बर्तन उतारते समय जलने की संभावना बढ़ जाती है। इसलिए सँड़सी पर रबड़ लगाने से वह जलने से सुरक्षित रहता है।
ई. चाकू लकड़ी से तैयार करें
उत्तर : चाकू का उपयोग वस्तुओं को काटने के लिए किया जाता है। लकड़ी से बनी चाकू में न तो कठोरता होगी और न तीक्ष्णता (धार)। अतः इस चाकू से कोई काम नहीं होगा।
उ. कुल्हाड़ी रबड़ की बनाएँ
उत्तर : रबड़ लचिला पदार्थ है। किसी वस्तु से टकराने पर रबर की कुल्हाड़ी पलट जाएगी। धातु की कुल्हाड़ी यह कार्य कर सकती है क्योंकि धातु कठोर पदार्थ हैं। रबर की कुल्हाड़ी यह कार्य नहीं कर पाएगी।
प्रश्न ७. मैं कौन?
अ.तुम्हारा ताप नापता हूँ, तापमापी में रहता हूँ। – पारा।
आ. मेरे बिना न गर्मी, न ठंड । – ऊष्मा
इ. मेरा कोई आकार नहीं। – द्रव तथा गैसीय पदार्थ
ई. पानी में घुलता हूँ, मिट्टी के तेल में नहीं घुलता। – नमक, शक्कर।
प्रश्न ८. ऐसा क्यों हुआ ?
अ. शीतकाल में नारियल का तेल जम गया ।
उत्तर : किसी द्रव का तापमान उसके हिमांक से कम होने पर वह ठोस अवस्था ग्रहण कर लेता है। शीतकाल में नारियल के तेल का तापमान, उसके हिमांक से पर्याप्त कम हो जाता है। इसलिए यह जम जाता है I
आ. प्लेट में खुला रखा हुआ मिट्टी का तेल लुप्त हो गया ।
उत्तर : सामान्य वायुमंडलीय तापमान पर भी द्रवों का मंद गति से वाष्पन (वाष्पीभवन) होता रहता है। द्रव तल का क्षेत्रफल अधिक होने पर वाष्पन की गति तीव्र होती है। इसीलिए प्लेट में रखा हुआ मिट्टी का तेल कुछ समय बाद पूर्णतः वाष्पित होकर लुप्त हो जाता है।
इ. एक कोने में सुलगाकर रखी गई अगरबत्ती की सुगंध दूसरे कोने में आ गई।
उत्तर : सुलगती हुई अगरबत्ती से निकलने वाला धुआँ वास्तव में गैसीय अवस्था में होता है। गैसें उपलब्ध स्थान में सर्वत्र आसानी से फैल जाती हैं। इसीलिए अगरबत्ती की सुगंध दूसरे कोने में भी आ जाती है।
प्रश्न ८. ऐसा क्यों हुआ ?
ई. नीचे दिया गया चित्र देखो :
उत्तर : किसी पदार्थ का हल्का या भारी होना, उस पदार्थ के घनत्व पर निर्भर होता है। फुलाए गए गुब्बारे का घनत्व बहुत कम (पानी के घनत्व से कम) होता है। इसलिए यह पानी में तैरता है। परंतु सेब का घनत्व (पानी के घनत्व से) अधिक होने के कारण यह पानी में डूब जाता है।