Maharashtra State Board Class 6th Hindi Medium History (इतिहास)

प्रश्न १.रिक्त स्थान में उचित शब्द लिखो I

(१) जैन धर्म में  अहिंसा  सिद्धांत को महत्त्व प्राप्त है ।

(२) सभी प्राणिमात्रों के प्रति करुणा गौतम बुद्ध के व्यक्तित्व की असाधारण विशेषता थी ।

प्रश्न २. संक्षेप में उत्तर लिखो I

(१) वर्धमान महावीर ने कौन-सी सीख दी?
उत्तर : वर्धमान महावीर ने लोगों को यह सीख दी-
(१) मनुष्य की महानता उसके वर्ण पर नहीं, अपितु उसके उत्तम चरित्र पर निर्भर रहती है।
(२) सभी प्राणियों से प्रेम करो।
(३) दूसरों के प्रति अपने मन में करुणा और दया का भाव बनाए रखो।
(४) जीओ और जीने दो।
(५) अपना आचरण शुद्ध रखो।

(२) गौतम बुद्ध का कौन-सा वचन विख्यात है? उस वचन द्वारा कौन-से मूल्य व्यक्त होते हैं?
उत्तर : (१) गौतम बुद्ध का यह वचन विख्यात है : ‘नन्हीं-सी चिड़िया भी अपने घोंसले में स्वतंत्रता से चहचहाती है।’
(२) इस वचन द्वारा बुद्ध को महत्त्वपूर्ण लगनेवाले स्वतंत्रता तथा समता जैसे मूल्य व्यक्त होते हैं।

(३) ज्यू धर्म की सीख में किन गुणों पर बल दिया गया है?
उत्तर : (१) ज्यू धर्म की सीख में न्याय, सत्य, शांति, प्रेम तथा करुणा जैसे गुणों पर बल दिया गया है।
(२) इसी प्रकार दान देना, अच्छा बोलना तथा स्वाभिमान पर भी बल दिया गया है।

(४) ईसाई धर्म में क्या बताया गया है?
उत्तर : ईसाई धर्म में अग्रलिखित बातें बताई गई हैं-
(१) ईश्वर एक ही है, शक्तिमान है और सभी का स्नेहमयी पिता है।
(२) ईसा मसीह ईश्वर के पुत्र हैं और मानव जाति का उद्धार करने के लिए वे धरती पर आए थे।
(३) हम सभी एक-दूसरे के भाई-बहन हैं। हमें एक-दूसरे से प्रेम करना चाहिए, यहाँ तक कि शत्रु से भी प्रेम करना चाहिए।
(४) जिनसे अपराध हुआ है, उन्हें क्षमा करनी चाहिए।

(५) इस्लाम धर्म की सीख क्या कहती है?
उत्तर : इस्लाम धर्म की सीख ये बातें बताती हैं-
(१) अल्लाह एक है और मुहम्मद पैगंबर उसके संदेशवाहक हैं।
(२) अल्लाह शाश्वत और सर्वत्र है।
(३) वह सर्वशक्तिमान और परम दयालु है।
(४) अल्लाह की उपासना करना ही मानव जीवन का उद्देश्य है।

(६) पारसी धर्म की विचारधारा का सार क्या है?
उत्तर : (१) पारसी धर्म में अग्नि और जल तत्त्व का अत्यंत महत्त्व है।
(२) उत्तम विचार, उत्तम वाणी और उत्तम कर्म, ये तीन आचरण तत्त्व पारसी धर्म की विचारधारा के सार हैं।

प्रश्न ३. टिप्पणी लिखो :

(१) आर्यसत्य
उत्तर : गौतम बुद्ध के अनुसार सभी व्यवहारों के मूल में चार सत्य हैं। इन्हें आर्यसत्य कहते हैं। ये आर्यसत्य इस प्रकार हैं-
(१) दुख –   मानव जीवन में दुख होता है।
(२) दुख का कारण – दुख का कुछ कारण होता है।
(३) दुख निवारण – दुखों को समाप्त किया जा सकता है।
(४) प्रतिपद – शुद्ध आचरण द्वारा दुख का अंत किया जा सकता है।

(२) पंचशील
उत्तर : गौतम बुद्ध ने लोगों से पाँच नियमों का पालन करने के लिए कहा है। इन्हें ‘पंचशील’ कहते हैं। ये नियम इस प्रकार हैं-
(१) प्राणियों की हत्या न करें।
(२) चोरी न करें।
(३) अनैतिक आचरण न करें।
(४) असत्य न बोलें।
(५) नशीले पदार्थों का सेवन न करें।

. नीचे दिए गए पंचमहाव्रतों और त्रिरत्नों का तालिका में वर्गीकरण करके लिखो :
(१) अहिंसा (२) सम्यक् दर्शन (३) सत्य (४) अस्तेय(५) सम्यक् ज्ञान (६) अपरिग्रह (७) सम्यक् चारित्र (८) ब्रह्मचर्य

पंचमहाव्रत

त्रिरत्न

(१) अहिंसा

(१) सम्यक् दर्शन

(२) सत्य

(२) सम्यक् ज्ञान

 

(३) अस्तेय

(३) सम्यक् चारित्र

(४) अपरिग्रह

 

(५) ब्रह्मचर्य

 

प्रश्न . कारण लिखो I

(१) वर्धमान महावीर को ‘जिन’ क्यों कहने लगे?
उत्तर : (१) ‘केवल’ अर्थात विशुद्ध ज्ञान प्राप्त करने पर आनंद अथवा पीड़ा का कुछ भी प्रभाव नहीं पड़ता।
(२) वर्धमान महावीर ने गृह त्याग करके साढे बारह वर्ष तपस्या करने के पश्चात यह विशुद्ध ज्ञान प्राप्त किया। वर्धमान ने सभी विकारों पर विजय प्राप्त की: इसलिए उन्हें ‘जिन’अर्थात विकारों पर विजय प्राप्त करनेवाला कहने लगे।

(२) गौतम बुद्ध को ‘बुद्ध ’ क्यों कहा गया है?
उत्तर : (१) मानव जीवन में होनेवाले दुःख का कारण खोजने के लिए गौतम बुद्ध ने घर-बार का त्याग करके ध्यानधारणा की।
(२) इसके बाद उन्हें मानव जीवन का संपूर्ण ज्ञान प्राप्त हुआ; इसलिए गौतम बुद्ध को बुद्ध कहा गया है I

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