Maharashtra State Board Class 6th Hindi Medium History (इतिहास)
प्रश्न १.पहचानो तो ।
(१) सातवाहन राजा अपने नाम से पहले किसका नाम लगाते थे : माता का .
(२) प्राचीन समय में कोल्हापुर का नाम : कुंतल
प्रश्न २. पाठ में दिए गए मानचित्र का निरीक्षण करो और निम्न तालिका पूर्ण करो :
पल्लव |
कांची |
चालुक्य |
ऐहोल, बदामी, पट्टदकलI |
सातवाहन |
अजंता, नाशिक, कार्ले, भजे, जुन्नर, कन्हेरी I |
प्रश्न ३. निम्न राजसत्ताएँ और राजधानी का वर्गीकरण करो ।
सातवाहन, पांड्य, चालुक्य, वाकाटक, पल्लव , मदुरै, प्रतिष्ठान , कांचीपुरम, वातापि
१. |
सातवाहन |
प्रतिष्ठान |
२. |
पांड्य |
मदुरै |
३. |
चालुक्य |
वातापि |
४. |
पल्लव |
कांचीपुरम |
प्रश्न ४. पाठ में दिए गए किन्हीं तीन चित्रों का निरीक्षण करो और अपने शब्दों में लिखो कि तुम्हें क्या जानकारी प्राप्त होती है ।
प्रश्न ५. निम्न प्रश्नों के उत्तर एक-एक वाक्य में लिखो:
(१) दक्षिण की प्राचीन राजसत्ताएँ कौन-कौन-सी थीं ?
उत्तर : चेर, पांड्य, चोल, राष्ट्रकूट, चालुक्य, वाकाटक तथा सातवाहन दक्षिण भारत की प्राचीन राजसत्ताएँ थीं।
(२) मौर्य साम्राज्य का ह्रास होने के बाद किस प्रदेश के स्थानीय राजा स्वतंत्र बने ?
उत्तर : मौर्य साम्राज्य का ह्रास होने के बाद उत्तर भारत की तरह ही महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश तथा कर्नाटक जैसे दक्षिणी प्रदेशों के भी स्थानीय राजा स्वतंत्र हो गए।
प्रश्न ६. संक्षेप में उत्तर लिखो :
(१) महेंद्र वर्मन का कार्य लिखो ।
उत्तर : दक्षिण भारत में पल्लव राजवंश की सशक्त सत्ता थी। पल्लव राजवंश में महेंद्र वर्मन एक पराक्रमी राजा था। उसने पल्लवों के राज्य का विस्तार किया। महेंद्र वर्मन स्वयं नाटककार था। उसने विभिन्न कलाओं को प्रोत्साहन दिया।
(२) ‘त्रिसमुद्रतोयपीतवाहन’ का अर्थ क्या है ? स्पष्ट करो ।
उत्तर : (१) ‘त्रिसमुद्र’ का अर्थ है बंगाल की खाडी, हिंद महासागर और अरब सागर। ‘तोय’ का अर्थ पानी है।
(२) ‘त्रिसमुद्रतोयपीतवाहन’ का अर्थ है – ‘जिसके घोडों ने तीन समुद्रों का पानी पिया है’, ऐसा राजा I
(३) गौतमीपुत्र सातकर्णी पराक्रमी राजा था। इसका वर्णन नाशिक की गुफा के एक शिलालेख में ‘त्रिसमुद्रतोयपीतवाहन’ शब्दों में किया गया है।
(३) मुजिरीस (मुजिरिम) बंदरगाह से किन वस्तुओं का निर्यात होता था ?
उत्तर : (१) ‘मुजिरीस’ केरल के तट पर स्थित कोचीन के समीप का महत्त्वपूर्ण बंदरगाह था।
(२) इस बंदरगाह से मसाले के पदार्थ, मोती, मूल्यवान रत्न आदि वस्तुओं का निर्यात इटली के रोम और पश्चिम के अन्य देशों को किया जाता था।