Maharashtra State Board Class 7th Hindi Medium Geography (भूगोल)

प्रश्न १. कारण लिखो :

(१) वायुदाब ऊँचाई के अनुसार कम हो जाता है ।
उत्तर : (१) हवा में मिश्रित धूलिकण, वाष्प, भारी वायु आदि घटक भूपृष्ठ के निकट अधिक मात्रा में होते हैं।
(२) भूपृष्ठ से जैसे-जैसे ऊँचाई पर जाते हैं, वैसे-वैसे हवा के इन घटकों की मात्रा कम होती है। परिणामस्वरूप, ऊँचाई बढ़ने के साथ हवा विरल होती जाती है और वायुदाब कम होता जाता है। इस प्रकार ऊँचाई के अनुसार वायुदाब कम हो जाता है।

(२) वायुदाब पेटियों का दोलन होता है ।
उत्तर : (१) सूर्य उत्तरायण और दक्षिणायन में जाता है। यह भासमान भ्रमण है।
(२) सूर्य की उत्तरायण और दक्षिणायन क्रियाओं के कारण पृथ्वी पर पड़ने वाले सूर्यप्रकाश की अवधि और प्रखरता विषुवत रेखा से उत्तरी और दक्षिणी ध्रुवों के बीच बदलती जाती है।
(३) परिणामस्वरूप, तापमान पेटियों और उन पर आधारित दाब पेटियों के स्थानों में परिवर्तन होता है।
(४) वायुदाब पेटियाँ सामान्यत: उत्तरायण में ५0 से ७0 उत्तर की ओर और दक्षिणायन में ५0 से ७0 दक्षिण की ओर सरकती हैं। इस प्रकार वायुदाब पेटियों का दोलन होता है ।

प्रश्न २. निम्न प्रश्नों के संक्षेप में उत्तर लिखो :

(१) वायुदाब पर तापमान का क्या परिणाम होता है?
उत्तर : (१) तापमान और वायुदाब का निकट का संबंध है।
(२) जहाँ तापमान अधिक होता है, वहाँ वायुदाब कम रहता है।
(३) अधिक तापमान के कारण हवा गर्म होती है और प्रसरित होती है। इसके कारण हवा का घनत्व कम होता है और वह हल्की बन जाती है।
(४) भूपृष्ठ के समीप की ऐसी हवा आकाश की दिशा में ऊपर जाती है। परिणामस्वरूप, संबंधित प्रदेश का वायुदाब कम हो जाता है।

(२) उपध्रुवीय क्षेत्र में कम वायुदाब पेटी का निर्माण क्यों होता है?
उत्तर : (१) पृथ्वी का ध्रुवों की ओर जाने वाला हिस्सा तुलनात्मक दृष्टि से वक्राकार है।
(२) इसके कारण ध्रुव की ओर का क्षेत्र कम होता जाता है।
(३) इस आकार के कारण हवाओं को बाहर निकलने के लिए अधिक अवसर मिलता है।
(४) पृथ्वी की सतह पर हवा के साथ होने वाले कम घर्षण तथा परिभ्रमण गति के कारण इस क्षेत्र की हवा बाहर फेंकी जाती है।
इसके कारण उपधुवीय क्षेत्र में कम वायुदाब पेटी का निर्माण होता है।

प्रश्न ३. टिप्पणी लिखो :

(१) मध्य अक्षांशीय अधिक दाब की पेटियाँ
उत्तर : (१) विषुवत रेखीय क्षेत्र से आकाश में गई हुई गर्म और हल्की हवा अधिक ऊंचाई पर पहुँचने के बाद ठंडी होकर ध्रुवीय प्रदेशों की ओर उत्तर और दक्षिण दिशा में बहने लगती है।
(२) ऊंचाई पर तापमान कम होने के कारण वह हवा ठंडी होकर भारी बन जाती है।
(३) यह भारी हवा नीचे भूमि की ओर उत्तरी और दक्षिणी गोलार्धों में २५० से ३५° अक्षांशों के बीच आती है।
(४) परिणामस्वरूप, उत्तरी और दक्षिणी गोलार्धों में २५° से ३५° अक्षांशों के बीच अधिक वायुदाब की पेटियों का निर्माण होता है।
(५) वायुदाब की ये पेटियाँ ‘मध्य अक्षांशीय अधिक दाब की पेटियाँ’ कही जाती हैं।
(६) मध्य अक्षांशीय अधिक दाब की पेटियों की हवा शुष्क होती है।
परिणामस्वरूप, संसार की अधिकांश मरुभूमियाँ इस प्रदेश में पाई जाती हैं।

(२) वायुदाब का क्षैतिज समानांतर वितरण
उत्तर : (१) पृथ्वी के पृष्ठ भाग पर क्षैतिज समानांतर दिशा में वायुदाब एक जैसा नहीं होता।
(२) वायुदाब में प्रदेश के अनुसार अंतर होता है।
(३) विषुवत रेखा से लेकर दोनों ध्रुवों के बीच क्षैतिज समानांतर दिशा में कम और अधिक वायुदाब की पेटियों का निर्माण होता है।
(४) वायुदाब के ऐसे वितरण को क्षैतिज समानांतर वितरण कहते हैं।

प्रश्न . कोष्ठक में से उचित विकल्प चुनकर रिक्त स्थान की पूर्ति करो :

(१) ऊँचाई पर जाने पर हवा  विरल  होती है ।
       (घनी, विरल, गर्म , आर्द्र)

(२) वायुदाब मिलीबार इकाई परिमाण में बताया जाता है ।
        (मिलीबार, मिलीमीटर, मिलीलीटर, मिलीग्राम)

(३) पृथ्वी पर वायुदाब असमान  है ।
         (समान, असमान, अधिक, कम)

(४) ५° उत्तर और ५° दक्षिण अक्षांशों के बीच  विषुवतीय कम  दाब की पेटी है ।
       (विषुवतीय कम, धुव्रीय अधिक, उपधुव्रीय कम, मध्य अक्षांशीय अधिक)

प्रश्न . ३०° अक्षांश के निकट अधिक वायुदाब पेटी का निर्माण कैसे होता है ? वह क्षेत्र मरुभूमीय क्यों होता है?
उत्तर : (अ) ३०° अक्षांश के निकट अधिक वायुदाब पेटी का निर्माण :
(१) विषुवत रेखीय क्षेत्र से आकाश में गई हुई गर्म और हल्की हवा अधिक ऊँचाई पर पहुँचने के बाद ठंडी होकर ध्रुवीय प्रदेशो की ओर उत्तरी और दक्षिणी दिशा में बहने लगती है।
(२) ऊँचाई पर तापमान कम होने के कारण वह हवा ठंडी होकर भारी बनती है ।
(३) यह भारी हवा नीचे भूमि की ओर उत्तरी और दक्षिणी गोलार्धा में २५° से ३५° अक्षाशों के बीच आती है।
(४) परिणामस्वरूप, दोनों गोलार्धो में २५° से ३५° अक्षांशों के बीच अधिक वायुदाब पेटियों का निर्माण होता है। वायुदाब की ये पेटियाँ मध्य अक्षांशीय अधिक दाब की पेटियों के नाम से जानी जाती हैं।
(५) इस प्रकार ३०० अक्षांश के निकट अधिक वायुदाब पेटी का निर्माण होता है।
(ब) ३०° अक्षांश के निकट के क्षेत्र के मरुभूमीय होने का कारण :
(१) उत्तरी और दक्षिणी गोलार्धा में २५° से ३५° अक्षांशों के बीच फैली हुई मध्य अक्षांशीय अधिक दाब की पेटियों की हवा शुष्क होती है।
(२) शुष्क हवा में वाष्प की मात्रा बहुत कम होती है; इसलिए इस प्रदेश में वर्षा भी बहुत कम होती है।
(३) परिणामस्वरूप, संसार की अधिकांश मरुभूमियाँ इस प्रदेश में पाई जाती हैं।
इस प्रकार ३०° अक्षांश के निकट का क्षेत्र मरुभूमीय होता है।

प्रश्न ६. वायुदाब पेटियों को दर्शाने वाली सुडौल आकृति बनाओ और शीर्षक दो ।

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