Maharashtra State Board Class 7th Hindi Medium Geography (भूगोल)

प्रश्न १. उचित विकल्प चुनकर वाक्य पूर्ण करो :

(१) हवा का प्रसरण होने पर  वह विरल बनती है ।
  (अ) वह घनी बनती है ।
  (आ) वह विरल बनती है ।
  (इ) नष्ट होती है ।
  (ई) आर्द्र बनती है ।

(२) हवाऍं अधिक वायुदाब की ओर से कम वायुदाब की ओर बहती हैं ।
  (अ) और अधिकवायदुाब की दिशा में बहती हैं।
  (आ) ठंडे वायुदाब की दिशा में बहती हैं ।
  (इ) कम वायुदाब की ओर बहती हैं ।
  (ई) जहाँ हैं; वहीं स्थित रहती हैं ।

(३) उत्तरी गोलार्ध में विषुवत रेखा की ओर से आने वाली हवाऍं पृथ्वी के परिभ्रमण के कारण पश्चिम की ओर मुड़ती हैं
  (अ) दक्षिण की ओर मुड़ती हैं ।
  (आ) पूर्व की ओर मुड़ती हैं ।
  (इ) पश्चिम की ओर मुड़ती हैं ।
  (ई) उत्तर की ओर मुड़ती हैं ।

(४) भारतीय उपमहाद्वीप के ऊपर से बहने वाली मानसूनी/ मौसमी हवाओं की दिशा शीतकाल में  पूर्वोत्तर की ओर से दक्षिण-पश्चिम की ओर रहती है  
  (अ) दक्षिण-पूर्व की ओर से पश्चिमोत्तर की ओर रहती है ।
  (आ) दक्षिण-पश्चिम की ओर से पूर्वोत्तर की ओर रहती है ।
  (इ) पूर्वोत्तर की ओर से दक्षिण-पश्चिम की ओर रहती है ।
  (ई) पश्चिमोत्तर की ओर से दक्षिण-पूर्व की ओर रहती है ।

(५) ‘क्रोधोन्मत चालीस’ हवाऍं दक्षिणी गोलार्ध में ° दक्षिण अक्षांश के प्रदेश में बहती हैं।
  (अ) विषुवत रेखा की ओर बहती हैं ।
  (आ) ° दक्षिण अक्षांश के प्रदेश में बहती हैं।
  (इ) ध्रुवीय कम वायुदाब के प्रदेश  की ओर से बहती हैं ।
  (ई) ४०° उत्तर अक्षांशों के प्रदेश में बहती हैं।

प्रश्न २. नीचे दिए गए वर्णन के आधार पर हवाओं के प्रकार पहचानो :

(१) दक्षिण-पश्चिम से आनेवाली हवाऍं भारतीय उपमहाद्वीप में वर्षा लाती हैं । भारत में जून से सितंबर की अवधि में वर्षा होती है । इस अवधि के पश्चात ये हवाऍं पुनः लौट जाती हैं
उत्तर : दक्षिण-पश्चिमी मानसूनी हवाएँ।

(२) उत्तर ध्रुवीय प्रदेश की ओर से ६०° उत्तर की ओर आने वाली हवाओं के कारण उत्तरी अमेरिका, यूरोप, एवं रूस जैसे विस्तीर्ण प्रदेश में शीत की तीव्रता बढ़ती है ।
उत्तर : ध्रुवीय हवाएँ।

(३)  पर्वत शिखर दिन में जल्दी गरम हो जाते हैं । वहाँ की हवा गरम होकर हल्की हो जाती है और ऊपर चली जाती है । इससे इस क्षेत्र में कम दाब का निर्माण होता है । उसी समय पर्वत की तलहटी में घाटी में हवा ठंडी होती है। अतः वहाँ वायुदाब अधिक होता है । वहाँ की हवा कम दबाव की ओर बहती है।
उत्तर : घाटी की हवाएँ।

प्रश्न ३. आगे वायुदाब अलग-अलग मिलीबार में दिया है । उससे चक्रवात और प्रतिचक्रवात की आकृति बनाओः
       ९९०, ९९४, ९९६, १०००

प्रश्न ३. आगे वायुदाब अलग-अलग मिलीबार में दिया है । उससे चक्रवात और प्रतिचक्रवात की आकृति बनाओः

      ९९०, ९९४, ९९६, १०००

प्रश्न . एक ही भौगोलिक कारण लिखोः

(१) विषुवत रेखा के पास हवा की पेटी शांत होती है ।
उत्तर : (१) विषुवत रेखा के उत्तर और दक्षिण में लगभग ५ अक्षांश तक वायुदाब सामान्यत: सर्वत्र समान होता है।
(२) इसके कारण वर्ष के अधिकांश समय में विषुवत रेखा के क्षेत्र में हवाएँ नहीं बहतीं। इसलिए विषुवत रेखा के पास हवा की पेटी शांत होती है।

(२) उत्तरी गोलार्ध की दक्षिण-पश्चिमी हवाओं की तुलना में दक्षिणी गोलार्ध में पश्चिमोत्तर से आने वाली हवाएँ अधिक तेज गति से बहती हैं।
उत्तर : (१) उत्तरी गोलार्ध में भूभाग अधिक है। इस गोलार्ध में भूपृष्ठ की ऊँचाई और निचलेपन की बाधा होने के कारण हवाओं की गति सीमित रहती है।
(२) इसके विपरीत दक्षिणी गोलार्ध में जलभाग अधिक है। इस गोलार्ध में भूपृष्ठ की ऊँचाई और निचलेपन की बाधा न होने के कारण हवाओं की गति पर कोई नियंत्रण नहीं होता, हवाएँ तीव्र गति से बहती हैं। इस प्रकार उत्तरी गोलार्ध की दक्षिण-पश्चिमी हवाओं की तुलना में दक्षिणी गोलार्ध में पश्चिमोत्तर से आने वाली हवाएँ अधिक तेज गति से बहती हैं।

(३) ग्रीष्मकालीन मानसूनी हवाएँ सागर की ओर से तो शीतॠतु की वापसी की मानसूनी हवाएँ जमीन से आती हैं ।
उत्तर : (१) ग्रीष्मकाल में दीर्घ कालावधि के लिए जमीन अधिक गर्म रहती हैं। परिणामस्वरूप, ग्रीष्मकाल में दीर्घ कालावधि के लिए जमीन की हवा का दाब अपेक्षाकृत कम और समुद्र के ऊपर की हवा का दाब अधिक होता है। इस दाबांतर के कारण ग्रीष्मकालीन मानसूनी हवाएँ समुद्र की ओर से जमीन की ओर आती हैं।
(२) शीतकाल में दीर्घकालावधि के लिए जमीन अपेक्षाकृत कम गर्म रहती हैं। परिणामस्वरूप, शीतकाल में दीर्घ कालावधि के लिए जमीन की हवा का दाब अपेक्षाकृत अधिक होता है और समुद्र के ऊपर की हवा का दाब कम रहता है। इस दाबांतर के कारण शीतकाल की वापसी की मानसूनी हवाएँ जमीन की ओर से समुद्र की ओर आती हैं।

(४) हवाएँ बहने के लिए हवा के दबाव में अंतर होना आवश्यक होता है ।
उत्तर : (१) यदि किसी वस्तु पर विपरीत दिशाओं में समान बल लगाया जाए, तो वह वस्तु गतिमान नहीं होती। उसके गतिमान होने के लिए बलों में अंतर होना आवश्यक है। इसी प्रकार यदि हवा का दबाव (एक प्रकार का बल) सर्वत्र समान होगा, तो उसमें कोई हलचल नहीं होगी, अर्थात हवा स्थिर रहेगी।
(२) परन्तु जब हवा के दबाव में अंतर होता है, तो उसमें हलचल होती है, जिसके परिणामस्वरूप हवा उच्च दबाव से निम्न दबाव की ओर बहने लगती है। उदाहरणार्थ, रात में पर्वत के अधिक वायुदाब से घाटी के कम वायुदाब की ओर पर्वतीय हवाएँ बहती है। इस प्रकार हवाएँ बहने के लिए हवा के दबाव में अंतर होना आवश्यक होता है।

प्रश्न . निम्न प्रवाही तालिका पूर्ण करोः

प्रश्न ६. संक्षेप में उत्तर लिखोः

(१) ध्रुवीय प्रदेश में दोनों गोलार्धों में वायुदाब अधिक क्यों होता है?
उत्तर : (१) ध्रुवीय प्रदेश में दोनों गोलार्धों में तापमान शून्य अंश सेल्सिअस से भी कम होता है
(२) इसके कारण ध्रुवीय प्रदेश में हवा ठंडी रहती है, जिसके परिणामस्वरूप दोनों गोलार्धों के ध्रुवीय प्रदेशों में वायुदाब अधिक होता है।

(२) पृथ्वी के परिभ्रमण का हवाओं पर क्या परिणाम होता है?
उत्तर : (१) पृथ्वी का परिभ्रमण पश्चिम से पूर्व की ओर होता है। पृथ्वी के परिभ्रमण के कारण हवाओं के मूल दिशा में परिवर्तन होता है।
(२) पृथ्वी के परिभ्रमण के कारण उत्तरी गोलार्ध में हवाएँ अपनी मूल दिशा से दाईं ओर मुड़ती हैं, जबकि दक्षिणी गोलार्ध में हवाएँ मूल दिशा से बाईं ओर मुड़ती हैं।

(३) चक्रवात चक्राकार दिशा में ही क्यों बहते हैं?
उत्तर : (१) कभी-कभी किसी स्थान पर वायुदाब कम होता है और आसपास का वायुदाब अधिक होता है। इस समय चक्रवातीय हवाओं की परिस्थिति का निर्माण होता है।
(२) कम वायुदाब का क्षेत्र केंद्र में होने के कारण इस प्रदेश में आसपास के चारों ओर के अधिक वायुदाब के प्रदेश से तीव्र गति से हवाएँ बहती है। इसके कारण चक्रवातीय हवाएँ अर्थात चक्रवात चक्राकार दिशा में बहते हैं।

(४) चक्रवात के कारण और परिणाम लिखो ।
उत्तर : (अ) चक्रवात के कारण :
(१) किसी स्थान पर वायुदाब कम होता है।
(२) उस स्थान के आसपास के क्षेत्र में वायुदाब अधिक होता है।
(ब) चक्रवात के परिणाम :
(१) चक्रवात के कारण आकाश मेघाच्छन रहता है।
(२) चक्रवातीय हवाओं के तीव्र गति से बहने के कारण भरपूर मात्रा में वर्षा होती हैं।
(३) कभी-कभी विनाशकारी चक्रवात के कारण तटवर्ती प्रदेश में बड़े पैमाने पर जन-धन की हानि होती है।

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