Maharashtra State Board Class 7th Hindi Medium Geography (भूगोल)
प्रश्न १. निम्न कथनों के लिए उचित विकल्प चुनो I
(१) फसलों की अदला-बदली इस कृषि प्रकार में की जाती है ।
(अ) गहन कृषि
(आ) बागानी कृषि
(इ) व्यापारिक कृषि
(ई) फलोद्यान कृषि
(२) कृषि के लिए निम्न में से उचित विकल्प दो ।
(अ) केवल जोताई करना ।
(आ) प्राणियों, औजारों, यंत्रों और मनुष्य बल का उपयोग करना ।
(इ) केवल मनुष्य बल का उपयोग करना ।
(ई) केवल उपज लेना ।
(३) भारत में कृषि का विकास हुआ है क्योंकि …..
(अ) भारत में कृषि के दो मौसम होते हैं ।
(आ) अधिकांश लोग कृषि पर निर्भर हैं ।
(इ) भारत में पारंपरिक कृषि की जाती है ।
(ई) भारत में जलवायु, मृदा, जल आदि अनुकूल घटकों की उपलब्धता है ।
(४) भारत में कृषि के अंतर्गत आधुनिक पद्धति और तकनीकी का उपयोग करना आवश्यक है,क्योंकि…..
(अ) उन्नत बीजों के कारखाने हैं ।
(आ) रासायनिक खाद निर्मिति के उद्योग हैं ।
(इ) जनसंख्या में वृद्धि और उद्योग कृषि पर आधारित हैं ।
(ई) आधुनिक साधन एवं यंत्र उपलब्ध हैं ।
प्रश्न २. निम्न प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में लिखो I
(१) कृषि के लिए जलसिंचाई का महत्त्व स्पष्ट करो ।
उत्तर : (१) भारत में होनेवाली वर्षा मानसूनी और अनियमित स्वरूप की है। कृषि के लिए वर्षभर नियमित रूप से पानी की आपूर्ति होना आवश्यक होता है।
(२) फसलों की पानी की आवश्यकता की पूर्ति जहाँ वर्षा के पानी से नहीं हो सकती, वहाँ कृत्रिम विधि से पानी की आपूर्ति की जाती है, इसे ही सिंचाई कहते हैं।
(३) वर्षा का पानी (भूजल) कुएँ, नलकूप और हौद खोदकर प्राप्त किया जाता हैI कुछ स्थानों पर तालाब अथवा खेत तालाब खोदकर वर्षा का पानी संचित किया जाता है।
(४) कुएँ, हौद और तालाबों का पानी मोट / पंप की सहायता से खेतों में पहुँचाया जाता है I
(५) कुछ स्थानों पर सिंचाई के लिए फुहार सिंचन, टपक सिंचन आदि तकनीकों का उपयोग किया जाता है और कृषि से बड़े पैमाने पर उत्पादन लिया जाता है।
(२) जलसिंचाई के लिए उपयोग में लाई जाने वाली किन्हीं दो पद्धतियों की तुलनात्मक जानकारी लिखो ।
उत्तर : जल सिंचाई के लिए मुख्य रूप से कुएँ, तालाब, नहरें आदि पद्धतियों का उपयोग किया जाता है।
(अ) कुएँ द्वारा सिंचाई :
(१) जमीन में रिसा हुआ पानी कुआँ अथवा नलकूप खोदकर प्राप्त किया जाता है और इस पानी द्वारा सिंचाई की जाती है।
(२) कुआँ / नलकूप खोदने के लिए छोटा क्षेत्र पर्याप्त होता है।
(३) कुएँ द्वारा सिंचाई व्यक्तिगत स्रोत होने के कारण इसका उपयोग सुगमता से किया जा सकता है।
(४) कुएँ द्वारा सिंचाई कम खर्च वाली पद्धति है।
(ब) नहर द्वारा सिंचाई :
(१) नदियों पर बाँध बनाकर उसमें वर्षा का पानी संचित किया जाता है। इस पानी के उपयोग से परिसर में नहरों द्वारा सिंचाई की जाती है।
(२) बाँध बनाने के लिए बड़े क्षेत्र की आवश्यकता होती है। ।
(३) नहर द्वारा सिंचाई सार्वजनिक सिंचाई स्रोत है; इसलिए यह आवश्यक नहीं है कि इसका उपयोग हमेशा सुगमता से किया जा सके।
(४) नहर द्वारा सिंचाई अधिक खर्चीली पद्धति है।
(३) कृषि के प्रमुख प्रकार बताओ और गहन कृषि एवं विस्तृत कृषि की जानकारी लिखो ।
उत्तर : (अ) कृषि के प्रमुख प्रकार : निर्वाह कृषि और व्यापारिक कृषि,ये कृषि के प्रमुख दो प्रकार है।
(ब) गहन कृषि : कम-से-कम क्षेत्र में अधिक-से-अधिक कृषि उत्पादन प्राप्त करने की पद्धति को ‘गहन कृषि‘ कहते हैं। गहन कृषि की अग्रलिखित विशेषताएँ हैं.:
(१) गहन कृषि निर्वाह कृषि का एक उपप्रकार है।
(२) अधिक जनसंख्या होने अथवा भूमि क्षेत्र कम होने के कारण विकासशील देशों में प्रति व्यक्ति कृषि भूमि का परिमाण कम होता है; इसलिए ऐसे देशों में गहन कृषि एक ही भूमि पर अनेक वर्षों तक की जाती है।
(३) गहन कृषि से मिलने वाले अनाज से केवल परिवार की खादयान्न आवश्यकता की ही पूर्ति की जा सकती है।
(४) ऐसी कृषि करने वाला किसान और उसका परिवार केवल कृषि पर ही अवलंबित रहने के कारण उसकी आर्थिक स्थिति सीमा पर होती है।
(५) इस प्रकार की कृषि में प्राणिज ऊर्जा का उपयोग अधिक होता है।
(६) इस कृषि में खाद्यान्न के अलावा सब्जियाँ भी उगाई जाती हैं।
(३) कृषि के प्रमुख प्रकार बताओ और गहन कृषि एवं विस्तृत कृषि की जानकारी लिखो ।
उत्तर : (क) विस्तृत कृषि : बड़े क्षेत्र में अधिक-से-अधिक उत्पादन प्राप्त करने की पद्धति को विस्तृत कृषि कहते हैं। विस्तृत कृषि की अग्रलिखित विशेषताएँ हैं :
(१) विस्तृत कृषि व्यापारिक कृषि का एक उपप्रकार है। समशीतोष्ण घास के प्रदेश में विस्तृत कृषि की जाती है।
(२) विस्तृत कृषि के खेत का क्षेत्रफल २०० हेक्टर अथवा इससे अधिक होता है।
(३) बड़े कृषि क्षेत्र एवं विरल जनसंख्या के कारण यह कृषि मुख्य रूप से अत्याधुनिक यंत्रों की सहायता से की जाती है। उदाहरणार्थ, विस्तृत कृषि में जोताई के लिए ट्रैक्टर, कटाई के दवनी यंत्र, कीटनाशकों के छिड़काव के लिए हेलीकाप्टर अथवा हवाई जहाज का उपयोग किया जाता है।
(४) एकल फसल पद्धति इस कृषि की प्रमुख विशेषता है। उदाहरणार्थ, इस कृषि के अंतर्गत केवल गेहूँ अथवा मकई की फसल उगाई जाती है। इसके अलावा बार्ली, ओट्स और सोयाबीन की फसलें भी कुछ मात्रा में ली जाती हैं।
(५) यंत्रों, खादों और यंत्रों की खरीददारी, गोदामों का खर्च, यातायात खर्च आदि के लिए विस्तृत कृषि में बड़े पैमाने पर पूँजी लगानी पड़ती है।
(६) सूखा, कीटकों का आक्रमण जैसे टिड्डी दल का आक्रमण, बाजार भाव में होने वाला उतार-चढ़ाव आदि विस्तृत कृषि से संबंधित समस्याएँ हैं।
(४) बागानी कृषि की विशेषताएँ लिखो ।
उत्तर : बागानी कृषि की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं :
(१) स्वरूप : बागानी कृषि व्यापारिक कृषि का एक उपप्रकार है। इस कृषि का क्षेत्रफल ४० हेक्टर अथवा इससे अधिक, परंतु २०० हेक्टर से कम होता है। इस कृषि का क्षेत्र पर्वतीय ढलानों पर होता है। इस कारण बागानी कृषि में यंत्रों का अधिक उपयोग नहीं किया जा सकता। इस कृषि में स्थानीय मनुष्य बल का अधिक महत्त्व होता है।
(२) उत्पादित होने वाली फसलें : एक फसल पदधति बागानी कृषि की प्रमुख विशेषता है। इस कृषि में खाद्यान्न का उत्पादन नहीं होता, केवल व्यापारिक फसलों का उत्पादन लिया जाता हैं; जैसे- चाय, रबर, कॉफी नारियल, कोको, मसाले के पदार्थ इत्यादि।
(३) कृषि का प्रारंभ और विस्तार : बागानी कृषि का प्रारंभ और विस्तार मुख्य रूप से उपनिवेशकाल में हुआ I अधिकांश कृषि उष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों में की जाती है। यह कृषि भारत के साथ-साथ अफ्रीका, दक्षिण मध्य अमेरिका आदि प्रदेशों में की जाती है।
(४) उपप्रकार : बागानी कृषि के दो उपप्रकार हैं : फलोद्यान कृषि और फूलों की कृषि। फलोद्यान कृषि में विभिन्न प्रकार के देशी- विदेशी फलों का उत्पादन किया जाता है, जबकि फूलों की कृषि में विभिन्न प्रकार के फूलों का उत्पादन किया जाता है।
(५) पूँजी निवेश : दीर्घकालिक फसलें, वैज्ञानिक पद्धति का उपयोग, निर्यातक्षम उत्पादन, प्रक्रिया उद्योग आदि कारणों से बागानी कृषि में बड़ी पूँजी का निवेश करना पड़ता है।
(६) समस्याएँ : इस कृषि में जलवायु की अनियमितता, मानव संसाधन का अभाव, पर्यावरण की अवनति, आर्थिक और प्रबंधकीय कठिनाइयाँ आदि समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
(५) तुम्हारे आसपास के क्षेत्र में कौन-कौन-सी फसलें होती हैं? उनके भौगोलिक कारण कौन- से हैं ?
उत्तर. हमारे क्षेत्र में उगाई जाने वाली प्रमुख फसलें हैं: (i) चावल (ii) नारियल (iii) आम (iv) कटहल, आदि।
भौगोलिक कारण :
(i)चावल की वृद्धि के लिए उच्च तापमान, उच्च आर्द्रता, उच्च वर्षा और जलोढ़ मिट्टी अनुकूल कारक हैं। कोंकण क्षेत्र में ऐसी जलवायु पायी जाती हैं।
(ii) नारियल, आम, कटहल आदि फलों को भी समान जलवायु परिस्थितियों की आवश्यकता होती है। इसलिए, ये फल बड़े पैमाने पर कोंकण क्षेत्र में उगाए जाते हैं।
(६) भारत में कृषि का स्वरूप मौसमी क्यों है? बारहोंमासी कृषि करने में कौन-कौन-सी समस्याऍं हैं ?
उत्तर : (अ) भारत में कृषि का स्वरूप मौसमी होने का कारण : भारत की अधिकांश कृषि वर्षा के पानी पर निर्भर है। भारत में केवल जून, जुलाई, अगस्त एवं सितंबर, इन चार महीनों की कालावधि में वर्षा होती है। वर्षा की मात्रा और निरंतरता में अनियमितता दिखाई देती हैI इस कारण भारत में कृषि का स्वरूप मौसमी है।
(ब) बारहोंमासी कृषि करने की समस्याएँ : बारहोंमासी कृषि करने में आने वाली समस्याएँ आगे दिए अनुसार हैं :
(१) वर्षभर नियमित रूप से पानी की आपूर्ति न हो पाना।
(२) जलवायु में अनियमितता होना।
(३) पर्याप्त पूँजी उपलब्ध न होना।
(४) परिवहन और भंडारण की सुविधा उपलब्ध न होना।
(५) विपणन प्रबंधन उपलब्ध न होना इत्यादि।